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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - पास जाने को कहा। काली के पास गया तो काली ने दुर्गा के पास जाने को कहा। यूं एक के बाद एक स्थापित देव देवियों के पास भेजने लगे। तब सबसे अंत में आये देव के पास गया। तब उस देव ने गुस्से में कहा, दूसरों को तुने पहले याद किया और वहाँ से काम नहीं हुआ तब अन्त में मेरे पास आया। मैं तुझे नहीं बचाऊंगा। तब उस आदमी ने सभी देव देवियों से कहा- मैंने अपने घर में आप सभी को बिठाया है। फिर भी कोई बचाता नहीं है किन्तु फुटबॉल की तरह इधर से उधर धकेल रहे हो। यह ठीक नहीं हैं। तब उन सभी देवी देवताओं ने कहा- हम क्या करें। तेरा ही ठीकाना कहां हैं? तुने अपनी श्रद्धा को एक देव से दूसरे पर फेंका, वैसे हम भी तुझे यहाँ से वहाँ और वहाँ से यहाँ फेंक रहें हैं। (3) वचनयोग परमात्मा की आज्ञा को शिरसावंध करना। धर्म की व्याख्या करते हुए ज्ञानी पुरूष कहते हैं कि जिनेश्वर की आज्ञा का पालन ही परम धर्म है। जिनाज्ञा परमोधर्मः। जगत में जो धर्म की उपस्थिति है, वह जिनेश्वर परमात्मा की आज्ञा पालन से है। प्रभु की आज्ञा का पालन ही परम धर्म है। जिनाज्ञा का पालक तीर्थकर पद पाने में समर्थ है। जिनाज्ञा का विराधक नरक निगोद के भयंकर दुःखों को प्राप्त करता है। संसार भ्रमण का मूल जिनाज्ञा की विराधना है, तथा संसार से पार उतरने का मूल जिनाज्ञा पालन है। धर्म की व्याख्या जानने के बाद उसके विपरीत अधर्म को भी जानना आवश्यक है। रोग की दवाई जानने के बाद पथ्य के सेवन व अपथ्य के त्याग का भी मार्गदर्शन आवश्यक है। कर्म अपने को लगा भयंकर रोग है। जिनेश्वर परमात्मा उस रोग निवारण हेतू धर्म बताते हैं, साथ में अपथ्य के त्याग रूप अधर्म को भी समझाते हैं। अधर्म क्या है? स्वेच्छाचार ही अधर्म है। स्वयं को जो ठीक लगे, खुद को जो पसन्द है, परहित की चिंता नहीं है। इच्छा के अधीन कर्मबन्ध होता है। स्वेच्छा में खुद का भी अहित है, तथा जिनेश्वर की इच्छा में खुद का हित है। क्योंकि जिनेश्वर की आज्ञा सर्व के लिए हितकारी है, उसमें किसी को भी पीड़ा देने का विचार नहीं 153 For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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