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________________ 199 कीम वेखुदु । सगमाबुबुं ॥ ३८॥ मसंत मप्पाण मुविखयामि । जं धम्मरहिन दिहे गमा नही ते पाठी यावे [मि ||३|| युग नही खावे ॥ न सा पमिनित्तई । एटले हे श्रात्मा जे जे जायते रात्री पद एक देशथी दिवस । जाजा वच्च रयणी । धर्म करतां थकां । अहम्मं कुणमाणस्स । जेहने बे मृत्यु वा मरण साथे मीत्राइ । जेहने जेम बे नासवानी जग्या जस्सवचि पलायां ॥ ते नीचे वांबे सुखनी इबाई राच्यो ॥ ४१ ॥ जस्स मासकं । जे जीव एम जांबे जे माहारे मरवु नथी । सो हु कंखे सुएसिया॥ ४१ ॥ तथा दिवस जो जांइ न मरिस्सामि । करित्ता । मन वचन कायाना योग में जाइंबे नीचे रात्री काय वे कलेस करतां । पण || दिवसाय ॥ दंग कलि आयुखं वीलय वा नास वच्चंतिहु राइ गएलुं नही फरी नीवर्ते वा पाबु वले थायबे ते | ॥४२॥ एल्ये वा फोगट धर्म वीना जा इं रात्री तथा दिश ॥४०॥ हला जंति राईन ॥४०॥ संविता | जेम सिंहनीपरे मृगने ग्रहण करे बे| गयाय न पुराणे नितंति ॥४२॥ तीम मरणरूप सिंह मृगरूप न रने नीचे लेबे बेलेकाले ॥ मच्छू नरं नेइ हु अंतकाले ॥ काल ते दुःखमां तेना अंशनो ना गीथाय वा दुःख ले तेम नथी ४३ जव सीहो व मिनं गहाइ । नथी ते जीवनां दुख माता पी ता जाइ वा कोइ ।
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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