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( २ )
पाना गूजर राज्यनी स्थापना जैनोथो थयेली हे; अने वनराजना समयथी पा टण जैनोना मध्यबिंदु तरीके प्रसिद्ध थयेल छे. जैन धर्म तथा तेना आचार्योंने मळता राज्याश्रवथी १० थी १३ मा शतक सुधीमां जैन आचार्योंए गुजरातना पाटनगरमां तथा अन्य स्थळोए रहीने घणा अगत्यना ग्रन्थो रचाने गुजरात साहित्य उत्पन्न करेलुं छे. जैन आचार्योए रचेलुं साहित्य बाद करीए तो गूजरातनुं साहित्य अत्यंत क्षुद्र देखाशे. स. - हित्यनी प्रवृत्ति पुस्तकोना संग्रहबगर अशक्य छे अने तेथी जैनोए पोताना धार्मिंक साहित्य उपरांत बौद्ध तथा ब्राह्मण ग्रंथो पाटण, खंभात वगेरेना स्थळाना भंडारोमां संग्रहेला हता; अने आ भंडारोना लीवेज बौद्धो तथा ब्राह्मगोना प्राचीन ग्रंथों से कोइ पण ठेकाणेवी मळे नहीं तेवा अहींयां उपलब्ध थयेला छे
कुमारपाले २१ भंडारो तथा वस्तुवाले १८ क्रेोडना खर्चे मोटा त्रण भंडारो स्थापला हता. परंतु अत्यंत दिलगीरीनी वात छे के आ महत्वना भंडारोनुं एक पण पुस्तक पाटणना भंडारोमा जोवामां आवतुं नथी, ते भंडारा जो अत्यारे विद्यमान होत तो तेमांथी आपणने एकला गूजरातनी नहीं पण समग्र हिंदुस्ताननी ऐतिहासिक, साहित्यविषयक, दाशनिक, धार्मिक वगेरे प्रवृत्तिओनुं वधारे ज्ञान धात. परंतु गत वस्तुनो शोच नहीं करता अत्यारे जे पुस्तको भंडारोमां विद्यमान छे तेनी अगत्यता तपासीए. अहींया अपभ्रंश अने जूना गुजरातीना पुस्तकोनुं अवलोकन वधारे वास्तविक तथा बंध बेसतुं होवाथी संस्कृ अने प्राकृत ग्रंथोनुं तो मात्र दिग्दर्शन करीश.
संस्कृत न्यायशास्त्रमां बौद्धोना केटलांक प्राचीन न्यायना पुस्तको जे हिंदुस्तानमांथी नष्ट थला परंतु तेना टीबेटन अनुवादमां जळवाइ रहेला छे ते अहिंआ मळेला छे. ब्राह्मणो तथा जैनो तर्कभाषा रचेली छे परंतु ते बने करतां अतिशय प्राचीन बौद्धोनी तर्कभाषा छे. अशरे १० मां शतक्रमां थयेला राजजगद्दलविहारीय महायति मोक्षाकर गुप्ते ( १ ) प्रत्यक्ष ( २ ) स्वार्थानुमान अने ( ३ ) पदार्थानुमान एम त्रण परिच्छेदमां आ तकभाषा रचेली छ. न्यायबिन्दुना कर्ताए हेतुबिन्दु नामनो मंय हेतुवाद उपर रचेलो छे इ. स. ७८० ना अरसामा तेना उपर विनीतदेवे टीका बनावेली ले नालन्दना विश्वविद्यालयना गुरु शांतरक्षितना तत्वसंग्रहमा विविध दर्शनोनी समीक्षा करेली छे. आना उपर नालन्दा विश्वविद्यालयना मंत्रशास्त्रना गुरु कमलशीले ( इ. स. ७५० ) तत्व संग्रह पुंजिका नामनी टीका करेली छे. आ उपरांत न्यायसार उपर, भासर्वज्ञनी स्वोपज्ञ न्यायभूषण
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