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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अन्तजातक 326 अन्तमन्त सुसङ्गहितन्तजन त्रि.. ब. स., दान आदि द्वारा अपने जनों ... मद्दन्तो विय अन्तन्तेन चरित्वा परेपातरासमेव आगन्त्वा को ठीक से रखने वाला - सुसङ्गहितन्तजनोति, तात, यस्स अत्तनो सम्पादितं भत्तं भूञ्जितुं समत्थो, जा. अट्ठ. 1.74; हि रओ अत्तनो अन्तोजनो अत्तनो वलञ्जनकपरिजनो च ... भगवन्तं उपसङ्कमित्वा अन्तन्तेनेव चरन्तो सब्बरत्ति दानादीहि असङ्गहितो होति, जा. अट्ठ. 5.113. नानप्पकार..., उदा. अट्ठ. 53. अन्तजातक नपुं., एक जातक का नाम, जा. अट्ठ. ___ अन्तपटल नपुं., तत्पु, स. [आन्त्रपटल]. आंत का फैलाव 2.364-65. या विस्तारण - उदरं नाम उभतो निप्पीळियमानस्स अन्तति अति का वर्त., प्र. पु., ए. व. [अन्तति], बांधता है अल्लसाटकस्स मज्झे सजातफोटकसदिसं अन्तपटलं, - अति बन्धने, अन्तति, अन्तं, सद्द. 2.360. ..., खु. पा. अट्ठ. 44. अन्ततो अ., क्रि. वि. [अन्ततः], अन्त से लेकर, आखिरी अन्तपूर त्रि., तत्पु. स. [आन्त्रपूर्ण], आंत या अंतड़ी से भरा छोर से- ... अन्ततो पन मज्झतो वा पट्ठाय आदि पापेत्वा हुआ - अन्तपूरो उदरपूरो, यकनपेळस्स वत्थिनो, सु. नि. अवुत्तत्ता इतो अ नत्थेनेत्थ पटिलोमता न युज्जति, उदा. 197; तत्थ अन्तस्स पूरो अन्तपूरो, सु. नि. अट्ठ. 1.209; जा. अट्ठ. 38. अट्ठ. 1.150. अन्तद्वय नपुं., द्वि. स. [अन्तद्वय], दो अन्त, दार्शनिक वादों अन्तप्पत्त त्रि., तत्पु. स. [अन्तप्राप्त], अन्त को पा चुका, या अवधारणाओं के दो छोर - लोकुत्तरकुसलसम्मादिट्ठियेव छोरों तक पहुंच चुका, फल को प्राप्त कर चुका, जीवन के हि अन्तद्वयमनुपगम्म उजुभावेन गतत्ता, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) अन्त या मृत्यु को प्राप्त कर चुका - सो पारंगतो पारप्पत्तो 1(1).204; तेसं यदग्गेन ततो अन्तद्वयतो संसारसुद्धि न अन्तप्पतो कोटिगतो कोटिप्पत्तो परियन्तगतो .... महानि. होति. उदा. अट्ठ. 287; - यूपनिस्सय पु. [अन्तद्वयोपनिश्रय], 15; अन्तप्पत्तोति तमेवं कोकन्तं फलेन पत्तो, महानि. अट्ठ. दो प्रकार के अन्तों का आश्रय या उनपर दृढ़ विश्वास - 65. एवं अन्तद्वयूपनिस्सयेन तण्हाअविज्जानं दिहिवड्वकता अन्तबिल नपुं., तत्पु. स. [आन्त्रबिल], आंत की नली, वेदितब्बा, उदा. अट्ठ. 287; - निपतित त्रि., तत्पु. स. भोजन जाने वाली नली, आहारनलिका - एवमेव यं किञ्चि [अन्तद्वयनिपतित], दो प्रकार के अन्तों के जाल में फंसा आमासये पतितं ... आपज्जित्वा अन्तबिलेन ओगळित्वा हुआ - यथा हि तेसं समणब्राह्मणानं ... नत्थी ति ओमहित्वा ... हुत्वा तिट्ठति, खु. पा. अट्ठ. 45. अन्तद्वयनिपतितानंतण्हादिहिवसेन सम्परितसितविष्फन्दितमत्तं अन्तभार पु., कुछ संस्करणों में अन्नभार का अप., अन्न का उदा. अट्ठ. 172; - वन्तु त्रि.. [अन्तद्वयवत्], दो विभिन्न भार - सेय्यथिदं अन्नभारो वरधरो सकुलुदायी च परिब्बाजको विभक्ति-प्रत्ययों के अन्त से युक्त - यस्मा पन मयं ... परिब्बाजका, अ. नि. 1(2).204; पाठा. अन्तभार. पाळिनयानुसारेन अन्तद्वयवतो आपसहस्स पुल्लिङ्गतं अन्तभूत त्रि., [अन्तर्भूत], अन्त में आया हुआ, अन्तिम - नपुंसकलिङ्गत्तञ्च विदधाम, सद्द. 1.116; - वज्जन नपुं.. णम्हि पच्चये परे रञ्ज इच्चेतस्स धातुस्स अन्तभूतस्स तत्पु. स. [अन्तद्वयवर्जन], दो प्रकार के अन्तों का परित्याग जकारस्स जो आदेसो होति वा भावकरणेसु, क. व्या. 592. या परिवर्जन - एत्तावता हि ... तेविज्जतादीनं उपनिस्सयो, अन्तभोग पु., तत्पु. स. [आन्त्रभोग], आंत की कुण्डली या अन्तद्वयवज्जनमज्झिमपटिपत्तिसेवनानि, ..., विसुद्धि. 1.5; घुमावदार आंत - अन्तगुणन्ति अन्तभोगट्ठानेसु बन्धनं विभ. - विवज्जनानय पु., तत्पु. स. [अन्तद्वयविवर्जननय], दो अट्ठ. 229; ... एकवीसतिया ठानेसु अन्तभोगानं अन्तरा ठितं. प्रकार के अन्तों के परित्याग का प्रकार, पद्धति या तरीका विभ. अट्ठ. 229; ओकासतो कुदालफरसुकम्मादीनि ... - तत्थत्तनयो पत्तिनयो देसनानयो अन्तद्वयविवज्जनानयो यन्तफलकानि अन्तभोगे एकतो अग्गळन्ते ... एकवीसतिया अचिन्तेय्यनयो अधिप्पायनयो ति, सद्द. 2.396. अन्तभोगानं अन्तरा ठितन्ति, खु. पा. अट्ठ. 43; पाठा. अन्तन्त त्रि., छोटा से छोटा - एथ अहं तुम्हे ... निस्साय अन्तभाग. अन्तन्ते गामे पहरन्तो दामरिकभावं जानापेत्वा ..., अ. नि. अन्तमन्त त्रि., बहुत दूर-दूर वाले, बहुत दूर-दूर के, सुदूरवर्ती अट्ठ. 2.72; पाठा, अन्तमन्ते. - सेय्यथापि नाम गोकाणा परियन्तचारिणी अन्तमन्तानेव अन्तन्तेन अ., क्रि. वि. [अन्तन्तेन], एक किनारे या छोर से। सेवति, दी. नि. अट्ठ. 3.27; अन्तमन्तानेवाति कोचि मं पहं लेकर दूसरे किनारे या छोर तक, चारों ओर - सो हि एक पुच्छेय्याति पञआभीतो अन्तमन्तानेव पन्तसेनासनानि सेवति, For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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