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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 7 सुनीति कुमार चटर्जी का मत है कि आर्य भारत में ही स्वयंभूत हुए थे, विचारणीय ही नहीं है । ' आर्यों ने इस देश में आकर वेदों की रचना की । ब्राह्मणवादी विचारधाराएं वेदों को अपौरुषेय मानती है, किन्तु पाश्चात्य विद्वानों के मत से इनके निर्माण का काल ईसा से दो हजार वर्ष पूर्व के लगभग है | 2 सप्तसिंधव देश की सात नदियों के नाम थे- सिन्धु, विपाशा (व्यास), शतद्रु, (सतलज), वितस्ता (झेलम), असिक्री ( चनाव), परुण्णी (रावी) और सरस्वती । सरस्वती के पास ही दृषद्वती थी। मनुस्मृति में कहा है - सरस्वती और दृषद्वती देव नदियां है, इनके बीच देव निर्मित ब्रह्मावर्त देश है । " वैदिक आर्य भारत के जिस भाग से परिचित थे, वह भाग विभिन्न जातियों में विभाजित था और प्रत्येक जाति का एक शासक राजा था। ऋग्वेद में दस राजाओं के युद्ध का वर्णन है, इनमें पांच उल्लेखनीय हैं- अणु, द्रध्यु, तुर्वक, यदु तथा पुरु । ' इनमें पुरु एक शक्तिशाली राजा थे। ऐसे प्रमाण मिलते हैं, जो पुरुओं को इक्ष्वाकु सिद्ध करते हैं । शतपथ ब्राह्मण के अनुसार पुरुकुत्स इक्ष्वाकु था ।' शतपथ ब्राह्मण में इन्हें असुर राक्षस बताया है । " I Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋग्वेद की कुछ ऋचाओं में पणियों का चित्रण मिलता है। संस्कृत के शब्द पणिक या वणिक, पण्य और विपणि से ऐसा प्रतीत होता है कि पणि लोग ऋग्वेदकालीन व्यापारी थे । पणि वैदिक आर्यों के देवों को नहीं पूजते थे ।" ऋग्वेद की अनेक ऋचाओं में दस्यु शब्द का प्रयोग हुआ है। दस्यु यज्ञ नहीं करते थे। ऋग्वेद में इन्हें अकर्मा (क्रिया न करने वाला) अदेवयु (देवताओं का अपक्षपाती), अब्राह्मण, अयज्वान (यज्ञ न करने वाला), अव्रत (व्रतरहित), अन्यव्रत ( अतिरिक्त व्रतों का धारण करने वाला), देवपीयु (देवताओं की निन्दा करने वाले) कहा गया है । " को अनास (बिना मुख किया या नाकरहित चपटी नाक वाला), समझने योग्यवाणी) वाला कहा गया । " 1. डॉ. सुनीतिकुमार चटर्जी, भारतीय आर्य भाषा और हिन्दी, पृ. 20 2. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैन साहित्य का इतिहास, पृ. 3 3. मनुस्मृति, 2/7 4. जैन साहित्य का इतिहास, पृ. 14-15 5. शतपथ ब्राह्मण- 8, 5/4/3 6. वही 6, 8/1/14 7. जैन साहित्य का इतिहास, पृ. 16 बाद के साहित्य में एक सुसंस्कृत दानव जाति के अनेक उल्लेख पाए जाते हैं, जो असुर कहलाती थी । महाभारत में असुरों का वर्णन एक सुसंस्कृत दानव जाति के रूप में पाया जाता है। पाण्डव कौरव युद्ध के समय इन असुरों के हाथ में मगध और राजपूताना था । 8. Vedic Index 1, 471-72 9. ऋग्वेद 10/12/8 For Private and Personal Use Only मृधुवाच: (न
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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