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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंगोल प्रजाति के लोग भारत में असम और बर्मा में अधिक पाये जाते हैं। पीली या भूरी रंग की त्वचा, खड़े या बहुत कम दशाओं में लहरदार बाल, चौड़ा चपटा चेहरा, उभरी हुई हड्डियों वाले गाल, छोटी और चपटी नाक, छोटा कद, औसत 165 से.मी. से भी कम ऊँचाई, छोटी टाँगें, लम्बा धड़, चौड़े कंधे, चौड़ा सिर, शीर्ष देशना 80 से ऊपर, सीधा माथा, मोटे होंठ, गोल ठोडी, काले भूरे रंग की आंखें, चेहरे और शरीर पर कम बाल इनकी शारीरिक विशेषताएँ मानी गई हैं। इनमें से ओसवंश को किसी भी शुद्ध रूप में पाने की आशा करना व्यर्थ है, क्योंकि भारत में अनेकानेक प्रजातियां आई और परस्पर मिश्रित हो गई। 'नब्बे करोड़ से अधिक मनुष्यों के इस देश की प्रजातियों की सही सही गणना करना असम्भव नहीं, तो कठिन अवश्य है।' यही कहा जाता है कि ओसवंश आर्यों की सन्तान है, किन्तु मिश्रण से इन्कार नहीं किया जा सकता। डी.एन.ए. परीक्षण से कुछ सीमा तक ओसवाल जाति की प्रजाति का अनुमान किया जा सकता है। (2) भारत में वर्ण व्यवस्था इस देश में दो ही जातियां प्रमुख रही- आर्य और द्रविड़ । इन दोनों जातियों के पारस्परिक मिश्रण की प्रक्रिया बहुत पहले से सम्पन्न हो चुकी थी। पण्डितों में इस बात को लेकर मतभेद है कि अर्य मूलत: भारतवासी थे या बाहर से आए थे, वैसे ही यह बात भी निश्चयपूर्वक नहीं कही जा सकती कि द्रविड़ इस देश के मूल निवासी हैं अथवा इस देश में वे किसी और देश से आये हैं। आर्य और द्रविड़ दोनों प्रकार के लोग इस देश में अनन्त काल से पहले आये हैं और हमारे प्राचीनतम साहित्य में कोई प्रमाण नहीं मिलता कि ये दोनों जातियां बाहर से आई तथा दोनों के बीच लड़ाईयाँ भी हुई थी। आर्य और द्रविड़ नाम से अभिहित किये जाने वाले भारतवासियों का धर्म एक है, संस्कार एक हैं, भाव और विचार एक हैं और जीवन के विषय में उनका दृष्टिकोण भी एक ही है। शैव, शाक्त, वैष्णव, जैन और बौद्ध, ये आर्य भी थे और द्रविड़ भी। इन दोनों प्रजातियों में आर्यों के साथ संस्कृत भाषा देश में आर्यों के साथ आई और उत्कृष्ट संस्कृति, साहित्य और सभ्यता के कारण आर्य विश्व के इतिहास में प्रख्यात हैं। अन्वेषकों का मत है कि आर्य जाति की एक शाखा ने भारतवर्ष में प्रवेश करके एक नये समाज की स्थापना की। एक मत के अनुसार आर्य मध्य एशिया के रहने वाले थे, तिलक का मत था कि आर्य लोगों का आदि देश उत्तरी ध्रुव था और भारतीय विद्वानों का मत है कि सप्तसिंधव देश (सिंधु नदी से सरस्वती नदी तक) ही आर्यों का आदि देश था। प्रसिद्ध भाषाविद् डॉ. 1. डॉ. शर्मा और डॉ. शर्मा, भारतीय समाज, संस्थाएं और संस्कृति, पृ. 19 2. वही, पृ. 19 3. श्री रामधारी सिंह दिनकर, संस्कृति के चार अध्याय, पृ. 34-35 4. वही, पृ. 35 5. डा. सम्पूर्णानंद, आर्यों का आदि देश, पृ. 33 For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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