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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३०६ मुंबई के जैन मन्दिर %3 (४६९) श्री अजितनाथ भगवान गृह मन्दिर मोहनागाँव, बजार पेठ, (स्टे.) आंबीवली. जि. थाणा, महाराष्ट्र टे.फो. ०२५१-५५३४६०/७० चन्दनमलजी, ०२५१-५४६४१४-प्रकाशजी विशेष :- मोहना नगर में श्री अजितनाथ भगवान का जिनप्रासाद एवं आ. श्री राजेन्द्रसूरि म. का गुरु मन्दिर का निर्माण आहोर (राज.) निवासी शा. पुखराजजी भगवानजी परिवार की तरफ से बनवाकर श्री राजस्थान जैन सकल संघ मोहना को समर्पित किया हैं । परम पूज्य आचार्य श्रीमद् राजेन्द्रसूरि समुदाय के आ. श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. के आज्ञानुवर्ति मुनिराज की पावन निश्रा में वि.सं. २०४५, माह सुदि १२, ता. १७-२-१९८९, शुक्रवार को मूलनायक श्री अजितनाथ प्रभु एवं श्री राजेन्द्र गुरु प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। इस जिनालय में श्री अजितनाथ प्रभु मूलनायक तथा श्री चन्द्रप्रभ स्वामी एवं श्री आदिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१, यक्ष-यक्षिणी तथा नाकोड़ा भैरुजी व श्री मणिभद्रवीर की प्रतिमाजी बिराजमान है। नीचे के गुरु मन्दिर में आ. विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की एक प्रतिमाजी सुशोभित है तथा दिवारो के चारो ओर आचार्य राजेन्द्रसूरि महाराज म. के जीवन चरित्र के अनेक चित्र दर्शनीय हैं । मन्दिरजी का बाजूवाला हॉल शा. पुखराजजी भगवानजी की पुण्यस्मृति में शा. भंवरलालजी हुकमीचंदजी परिवारजनो आहोर (राज.) निवासीने बनवाकर श्री राजस्थान जैन संघ को ता. १७-२-८९ शुक्रवार को समर्पित किया था। यहाँ भी श्री अजितनाथ प्रभु मूलनायक तथा श्री चंद्रप्रभ स्वामी, श्री आदिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की १ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी-१ बिराजमान है। यहाँ राजेन्द्र जैन नवयुवक मण्डल, उपाश्रय तथा राजेन्द्र गुरु सप्तमी समिति की व्यवस्था है। विशेषता : यहाँ आ. श्री राजेन्द्रसूरि म. का जन्म व पुण्यतिथि यानी गुरु सप्तमी पोष सुदि ७ को प्रतिवर्ष भव्य मेला होता है। लगभग १०-१५ हजार तक यात्रियों का आवागमन रहता है। (४७०) आसनगाँव (शाहपुर) श्री गोडी पार्श्वनाथ भगवान भव्य त्रिशिखरी जिनालय जैन मन्दिर रोड, पोष्ट-शाहपुर, स्टेशन - आसनगाँव, For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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