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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (४६८) मुंबई के जैन मन्दिर हैं। उनके सुपुत्र श्री शशिकान्तभाई मन्दिरजी की विशेष देखरेख कर रहे हैं । यहाँ पाषाण की ३ प्रतिमाजी मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु और आजू बाजू में श्री पार्श्वनाथ एवं श्री संभवनाथ प्रभु तथा पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री चक्रेश्वरी देवी, महाकाली, यक्षयक्षिणी तथा पद्मावती देवी सुशोभित हैं । परम पूज्य अंचलगच्छाधिपति आचार्य श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्यरत्न साहित्य प्रेमी आचार्य श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में ता. २७-५-१९८६ को स्थापना हुई थी । सर्व प्रथम इस गृहमन्दिर की स्थापना टेरेस में सन् १९७६ में हुई थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आम्बीवली (मोहनागाँव) श्री सुमतिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय बजार पेठ, मोहनागाँव, स्टेशन अम्बीवली जि. थाणा, महाराष्ट्र टे. फो. ०२५१-५४३५७४ - बिपिनभाई. ३०५ विशेष :- मोहना कच्छी वीशा ओसवाल श्वेताम्बर अंचलगच्छ जैन संघ द्वारा निर्मित एवं संचालित इस जिनालय के प्लोट दाता श्रीमती मणीबाई सुन्दरजी धनजी परिवार (बाडावाला) हैं। आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में खनन मुहूर्त २०४६ का माह सुदि ८, ता. ५-२९०, तथा शिलान्यास २०४६ का माह सुदि ११, ता. ५-२-९० को हुआ था । गर्भगृह के निर्माण दाता स्व. शा. खीमजी धारशी पटेल परिवार कोटडा तथा रंग मंडप के दाता परम पूज्य तपस्वी गुणोदयसागरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से शा. मणशी शीवजी अ. सौ. सुन्दरबेन मणशी शाह सह परिवार कोटडा रोहाना वाले हैं । परम पूज्य अंचलगच्छाधिपति आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि विशाल साधुसाध्वीजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५० का माह सुदि १४, शुक्रवार को भव्य प्रतिष्ठा हुई थी, कायमी ध्वजा का चढ़ावा श्रीमती लधिबाई कानजी रवजी खोता देवपुरवालोने लिया था । For Private and Personal Use Only यहाँ मूलनायक श्री सुमतिनाथ तथा आजू बाजू में श्री संभवनाथ एवं श्री अभिनन्दन स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्र - २, वीसस्थानक - १, तुंबुरु यक्ष, महाकाली यक्षिणी, पद्मावती देवी, चक्रेश्वरी देवी, श्री गौतम स्वामी एवं आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी सुशोभित हैं। श्री गिरनार, श्री भद्रेश्वर तीर्थ, श्री शत्रुंजय, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री आबु - देलवाडा एवं अनेक ऐतिहासिक चित्रो से रंग मंडप की दिवारे दर्शनीय है । यहाँ उपासरा, जैन कन्याशाला एवं महिला मण्डल की भी व्यवस्था है 1
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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