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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४६ मुंबई के जैन मन्दिर Non विमलसेनविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का जेठ सुदि ३,सोमवार, ता. २०-५-९६ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ श्री सीमन्धर स्वामी तथा आजुबाजु में श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा श्री आदिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी तथा पंचधातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ बिराजमान हैं। (३७३) श्री महावीरस्वामी भगवान शिखरबंदी जिनालय कुशल टॉवर्स के पास अमर महल, एम. जी. रोड, घाटकोपर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७७. टेलिफोन नं.-(ओ.) - ३८९५४ ७३, (घर) - ३०५ २९५३ - प्रेमजीभाई विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. अचलगच्छ समुदाय के मुनि भगवन्त की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का वैशाख सुदि ६, तारीख १२-५-९७, सोमवार को दोपहर १२.३९ को विजय मुहूर्त में भूमिपूजन खनन विधि तथा शिला स्थापना विधि वि. सं. २०५३ का वैशाख सुदि - ११, रविवार, ता. १८-५-९७ को विजय मुहूर्त में सम्पन्न हुई थी। जिनालय के निर्माण दाताओं में भाग्यशाली श्रेष्ठिवर्य श्रीमान प्रेमजीभाई शाह, श्रीमान प्रकाशभाई मेहता, एवं श्रीमान वसंतभाई जैन का नाम अग्रणीय हैं। विक्रोली (पश्चिम) (३७४) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय हजारी बाग, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, विक्रोली (प.), मुंबई - ४०० ०५३. टेलिफोन नं.-जयन्तीभाई - २०६५० २१ (ओ.) ३६७ ६१ ६७ (घर) विशेष :- श्री हरियाली व्हिलेज जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस भव्य शिखर बंदी जिनालय की शुभ प्रेरणा तथा प्रतिष्ठा प. पू. सिद्धान्त महोदधि आ. श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनिभगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४३ का माह सुदि १०, रविवार, ता. ८-२-९७ को हुई थी। यहाँ श्री आदीश्वर भगवान मूलनायक तथा आजुबाजु में श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री महावीर स्वामी भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की पार्श्वनाथ प्रभु की बडी प्रतिमाजी, पंचधातु की- २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। यहाँ विजय शांतिचन्द्रसूरि आराधना भवन, हजारीबाग जैन पाठशाला, श्री आदीश्वर जैन महिला मंडल एवं उपासरा की व्यवस्था हैं। ओलियों के दिनो में आयंबिल की भी व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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