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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (३७५) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर ५२ ए टवीन हाउस, बम्बखाना के पीछे, पार्कसाईट, विक्रोली (प.), मुंबई - ४०००७९. टेलिफोन नं. - ५१७०७ २३ मूलचन्दभाई गाला २४७ विशेष : :- प्रवचन प्रभावक परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०२६ का मगसर सुदि १० को प्रथम चल प्रतिष्ठा हुई थी । इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री विक्रोली पार्क साइट जैन संघ हैं । इस गृह मन्दिरजी की यहाँ के संघ द्वारा विशेष रूप से उन्नति होती गई । नूतन प्रतिमाजी एवं अधिष्ठायक देव - देवताओं की प्रतिमाजी की स्थापना हुई, अतः पुनः प्रतिष्ठा आचार्य योगनिष्ठ श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री दुर्लभसागरसूरीश्वरजी म., मुनिराज श्री प्रेमप्रभसागरजी म. ( मुनि वात्सल्यदीप ) आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४३ का माह सुदि १४, शुक्रवार, ता. १२-२-८७ को हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ भगवान तथा आजुबाजु में श्री आदीश्वर भगवान, श्री महावीर स्वामी भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री सीमन्धर स्वामी के साथ पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ४, अष्टमंगल - १ तथा यक्ष-यक्षिणी, पद्मावती देवी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री गौतम स्वामी आदि बिराजमान हैं। यहाँ उपासरा एवं श्री संभवनाथ महिला मंडल की व्यवस्था हैं । आजकल यहाँ प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा और मार्गदर्शनानुसार शिखरबद्ध जिनालय का आयोजन हो रहा हैं। For Private and Personal Use Only ॐ ॐ विक्रोली (पूर्व) (३७६) श्री संभवनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय म्युनिसिपल स्कूल के सामने, टागोर नगर, विक्रोली (पूर्व), मुंबई - ४०००८३. टेलिफोन नं. - (ओ.) - ५७८ ४७ ३७, शांतिलालजी - ५७८ ६१५४ विशेष :- शासन प्रभावक परम पूज्य आ. भ. श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर युगदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०२६ का जेठ सुदि ३ को संघाणी ओस्टेट घाटकोपर (प.) के श्री चिन्तामणि जिनालय में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी की चल प्रतिष्ठा आपकी पुण्य निश्रा में वि. सं. २०२७ में हुई थी। यहाँ के संघ द्वारा एक भव्य शिखरबंदी जिनालय का निर्माण हुआ तथा परम पूज्य आचार्य
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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