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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर तीन गढ वाले छोटे छोटे समवसरण स्वरूप एक एक देहरी में २४ तीर्थंकर तथा चार शाश्वता तीर्थंकर के रूप में २८ - २८ प्रतिमाजी हैं। आरस और धातु की मिलाकर कुल १४५६ हैं । यहाँ दूसरा सर्वोदय मन्दिर के साथ कुल पार्श्वनाथ भगवान की १६६१ प्रतिमाजी बिराजमान हैं । ❀ (३६७) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ. श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी गुरू मन्दिर विशेष :- देवदर्शन हॉल के ठीक सामने आचार्य भगवन्त श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. का गुरु मन्दिर हैं । जिसमें कुल मिलाकर पाषाण की ३ गुरू प्रतिमाजी बिराजमान हैं। जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. २०४७ का फागुण सुदि, ता. १७-२-९१ को हुई थी । घाटकोपर (पूर्व ) श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय देरासर गली, घाटकोपर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७७. टेलिफोन नं. - हेड ओफिस- ३७५५४६४, (ओ.) ५१०६२२९ विशेष :- घाटकोपर विभाग में सबसे प्राचीन इस भव्य जिनालय की प्रतिष्ठा लगभग ९० वर्ष पहले वीर संवत २४३४, वि. सं. १९६४ का फागुण सुदि ३ गुरुवार ता. ५ -३ - १९०८ को हुई थी । २४३ इस मन्दिरजी के व्यवस्थापक एवं संचालक श्री आदीश्वर भगवान जैन पेढी, नरशीनाथा स्ट्रीट, श्री कच्छी वीसा ओसवाल देरासरवासी जैन संघ - बम्बई ट्रस्ट हैं । - नूतन शिखरबंदी जिनालय वि. सं. १९९५-९६ में पुरा हुआ था। उपर चौमुखी प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा वीर सं. २४६६, वि. सं. १९९६ का वैशाख वदि - ६, सोमवार, ता. २७-५ - १९४० को हुई थी । गंभारे में मूलनायक श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान तथा आजुबाजु में श्री महावीरस्वामी एवं श्री आदीश्वर भगवान तथा एक तरफ सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ प्रभु पाषाण की चार प्रतिमाजी, पंचधातुकी १५ प्रतिमाजी, पार्श्वयक्ष यक्षिणी तथा महाकाली देवी व श्री कल्याणसागरजी म. की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। उपर श्री जीरावला पार्श्वनाथ, श्री आदीश्वर भगवान, श्री सुमतिनाथ भगवान एवं श्री धर्मनाथ प्रभु की पाषाण की चार प्रतिमाजी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only श्री लक्ष्मी, श्री महाकाली, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री पद्मावती देवी भी सुशोभित हैं । श्री घाटकोपर कच्छी जैन संघ की तरफ से आयंबिल खाता चालु हैं। विशाल उपासरा, व्याख्यान हॉल, जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं । इसके अलावा यहाँ श्री जीरावला महिला मंडल, श्री आदिनाथ महिला मंडल भक्ति भावना में अग्रसर हैं ।
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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