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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २४२ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर देवदर्शन हॉल में ३ चौविशी के प्रतीक रूप में आरस की ७२ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। उसमें २६ प्रतिमाजी ६१” के हैं, दुसरी ५१, ४१” तथा ३१” की प्रतिमाजी हैं। देवदर्शन हॉल के आठ दरवाजाओं के उपर अन्दर बाहर होकर लगभग १००८ जडी जिन प्रतिमाजी हैं । इस मन्दिरजी- हॉल के कुल १०८ शिखर हैं और सभी बाँधकाम में अन्दर और बाहर आरस जड़ने में आया हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - हॉल में, श्री कृष्ण वासुदेव की रंगीन खडी प्रतिमांजी तथा कृष्ण अर्जुन की सवारी, चार घोडो जुडी अलग अलग रथ हैं । देवदर्शन हॉल में प्रवेश होते ही बायी ओर श्री पार्श्वनाथ प्रभु के १० भव के अन्तर्गत, चार मनुष्य भव के और एक हाथी के भव का कुल ५ बडे चित्र रचाये गये हैं । उनको लगती जानकारी प्रत्येक चित्र के उपर सुन्दर ढंग से लिखने में आई हैं । दायी ओर श्री पार्श्वनाथ के चार देवलोक भव के दृश्यो और उनका सुन्दर रीत से ३० फीट की प्रतिमाजी के साथ विवेचन किया हैं । देवदर्शन हॉल में छत में श्री पार्श्वनाथ भगवान के अपने १० भव के जीवन के २४ फुट x २० फुट के माप के बडे बडे ३२ चित्र बनाये गये हैं । उनके सामने की तरफ चित्रो के विवरण को, डेढ फुटके अक्षरो में लिखे हुए दिखाया गया हैं। जिसमें ४५ फुट की ऊँचाई से भी बराबर पढ सकते हैं। २३ वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ के इस भव्य अद्भुत और अनुपम जिनालय में उनका खुद का दिया हुआ उपदेश लगभग पचास पचास शब्दो की लाइनो में आरस के पत्थर में कोतरने में आया हैं। जो अनेक रीत से जैन दर्शन की अच्छी जानकारी अलौकिक रीत से देता हैं। 'देवदर्शन हॉल' के विवरण की जानकारी विस्तृत रूप से तत्कालीन प्रकाशित हेण्डबील की आधार पर लिखी गई हैं। (३६६) मन्दिरजी के संचालक हेण्डबील के नीचे लिखते हैं की यह सारा आयोजन भगवान की भक्ति खुद कर रही हैं । हमारा हिस्सा इसमें शून्य हैं, भगवान की कृपा बरस रही हैं । ❀ ॐ ॐ बावन जिनालय भव्य सुन्दर जिनालय सर्वोदय होस्पीटल, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. विशेष :- परम पूज्य शासन प्रभावक आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन प्रतापसूरीश्वर के पट्टधर प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुनित निश्रा में वि. सं. २०३३ का मगसर वदि ११, ता. १७-१२-७६ को प्रतिष्ठा हुई थी । देवदर्शन हॉल के मुख्य गंभारे के पीछे के भाग में नवकार मंत्र के अडसड अक्षर के प्रतीक के रूप में ६८ पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा का समवसरण हैं। समवसरण के आजुबाजु में नन्दीश्वर द्वीप बावन जिनालय के प्रतीक रूप बावन जिनालय की देहरीया हैं । For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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