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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २४१ यहाँ तीर्थ पटो में श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेत शिखर तीर्थ श्री अष्टापदतीर्थ तथा नेमिनाथजी - विवाह रथ यात्रा का चित्र भी दर्शनीय हैं। (३६४) ___ श्री स्थंभन पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर सर्वोदय होस्पीटल, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. विशेष :- यह मन्दिर शिरोमणि पार्श्वनाथ मूलनायक भगवान के पीछे के भाग में आया हुआ हैं। जिसे समोवसरण मंदिर भी कहते हैं। यहाँ पाषाण की ६८ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। (३६५) श्री शिरोभणि पार्श्वनाथ भगवान भव्य नयनरम्य जिनालय देव दर्शन हॉल, सर्वोदय होस्पीटल, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. विशेष :- जिनालयो की सृष्टि में इस अनोखे जिनालय का अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव परम पूज्य शासन प्रभावक आचार्य भगवंत श्री विजय मोहनसूरीश्वरजी म. सा. के पट्टधर प. पू. आचार्य भगवंत विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३१ का माह वदि ५, ता. २-३-७५ को भव्य आनन्द मंगल के साथ ठाठ माठ से हुआ था। यह जिन मन्दिर २०० फुट लम्बाई और २०० फुट पहोलाई में आया हुआ हैं । देवदर्शन हॉल की उँचाई ४५ फुट हैं। उसमें मध्यभाग में मुख्य गंभारे में २७ फुट की श्री शिरोमणि पार्श्वनाथ भगवान की भव्य और रमणीय काउस्सग मुद्रावाली, प्रतिमाजी चित्त को अति प्रसन्न करनेवाली हैं। ५ फूट ऊँची गादी पर २७ फुट की ऊँचाईवाली काउस्सग मुद्रालीन शान्तमुखमुद्रापरिमंडित यह प्रतिमाजी, जैन श्वेताम्बर संघो में भारत और विश्वभर में सर्व प्रथम बनी हैं, दर्शन मात्र से परम शांतिदायक इस प्रतिमाजी का मन्दिर और देवदर्शन हॉल भी भव्य भावोत्पादक और बेजोड हैं। उनके आजुबाजु में श्यामवर्णीय पार्श्वनाथ प्रभु की ९ फुट की २ काउस्सग प्रतिमाजी हैं । २४ प्रतिमाजी का उनका बडा परिकर हैं। उपर २२ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। शिरोमणि पार्श्वनाथ मन्दिर में कुल ११६ प्रतिमाजी दोनो दिवारोकी तरफ बिराजमान हैं। कुल १६५ प्रतिमाजी वन्दनीय हैं। इस मन्दिर के प्रवेश द्वार पर दोनो तरफ पार्श्वयक्ष, पद्मावतीदेवी काल भैरव और नाकोडा भैरवजी बिराजमान हैं। इस मन्दिर के बाहर का भाग देव दर्शन हॉल हैं। इस हॉल में बडी बडी ४ भव्य काउस्सग प्रतिमाजी श्वेत पाषाण की सुशोभित हैं। इनके पास युगदिवाकर आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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