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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २३७ संचालित इस मन्दिरजी की चलप्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवंत विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४८ का आषाढ सुदि १० को हुई थी। श्री आदिनाथ प्रभु और श्री महावीर प्रभु के मनोहर जिन बिंबो की अंजनशलाका वि. सं. २०५१ का मगसर सुदि १० को गोवालीया टेक जैन महामन्दिर में प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के समुदाय के आ. भ. श्री यशोदेवसूरीश्वरजी म., आ. भ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., आ. भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनिभगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ श्री रत्नचिन्तामणी पार्श्वनाथ भगवान की मूलनायक प्रभु की श्यामरंग की प्रतिमाजी तथा श्री आदिनाथ, श्री महावीर स्वामी, श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री वासुपूज्य स्वामी सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ एवं अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। यहाँ उपाश्रय, जैन पाठशाला, श्री पार्श्वपूजक महिला मंडल, श्री पार्श्वसामायिक मंडल एवं आराधना भवन की व्यवस्था हैं। (३५७) श्री सीमन्धर स्वामी भगवान गृह मन्दिर अक्षरधाम एस-वन, ग्राउन्ड फ्लोर, नेवल डिपो के सामने, नारायण नगर, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५१३ ३४ १५ - मयूरभाई विशेष :- अंचलगच्छाधिपति परम पूज्य आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री सर्वोदयसागरजी म. की शुभ प्रेरणा से मातुश्री कंकुबाई खीमजी गंगर परिवार कच्छ गाम मेराउवालोने इस जिनालय के मुख्य दाता के रूप में भाग लिया हैं। ___ परम पूज्य भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय जयघोषसूरीश्वरजी म., आ. विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से जिनालय बनाया हैं। तथा उनकी निश्रा में वि. सं. २०४९ का जेठ वदि ७, रविवार, ता. १३-३-९३ को त्रिदिवसीय महोत्सव पूर्वक चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के जिनालय में पाषाण की श्री सीमन्धर स्वामी, श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री मुनिसुव्रत स्वामी की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ शोभायमान हैं। ___जिन मन्दिर के निर्माण में बिल्डर मगंत शिवशंकर, विजय इन्टर प्रायज, मयूरभाई बाबुभाई तथा नरशी वीरजी गडा आदि अनेक भाईयों का सहयोग प्राप्त हुआ हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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