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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३८ मुंबई के जैन मन्दिर (३५८) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर शशि विहार, तीसरा माला, नं. १३, शाक मार्केट के बाजू में, भट्टवाडी, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५१३ ९९ ०२ - रोहितभाई विशेष :- यहाँ के गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री रोहितभाई कान्तिलाल भाई हैं। आपश्री के मन्दिरजी की चलप्रतिष्ठा परम पूज्य मुनिराज श्री कनकसुन्दरविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४४ का आसो सुदि - १० को हुई थी। तथा परम पूज्य श्री नररत्नविजयजी म. की शुभ निश्रा में गादी,स्थापना हुई थी। यहाँ पंचधातु की एक चौविशी की प्रतिमाजी तथा एक सिद्धचक्रजी बिराजमान हैं। (३५९) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृह मन्दिर ३-सी बिल्डींग, स्वागत सोसायटी, दामोदर पार्क, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५०० २७ १८ - कीर्तिभाई विशेष :- इस गृह मंदिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री कीर्तिभाई भगवतीदास भाई हैं। आपके गृह मंदिर में पंचधातु की मुनिसुव्रत स्वामी की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । यहाँ के मन्दिरजी की चलप्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४९ का मगसर सुदि १०, ता. ४-१२-९२ को हुई थी। (३६०) श्री धर्मनाथ भगवान गृह मन्दिर १४-१५ सुवास, ओल्ड माणेकलाल ईस्टेट, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, - घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५१२५० ०४, ५१४ ८६ ९३ विशेष :- इस गृह मंदिरजी के संस्थापक एवं संचालक सेठ श्री कांतिलाल जगजीवनदास शाह परिवार वाले हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री जगच्चन्द्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य परम पूज्य मुनिराज श्री कनकसुन्दरविजयजी म. की शुभ प्रेरणा से इस मन्दिरजी की स्थापना ३० वर्ष पहले आषाढ सुदि १४ को हुई थी। ___ यहाँ की प्रतिमाजी प्राचीन हैं जो राघनपुर गाँव से प्राप्त हुई थी। गाँव के किसी मुसलमान भाई के घर का खोदकाम करते समय जमीं से प्रकट हुई थी। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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