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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २२३ वैशाख वदि १३ के सुबह ५ बजे पूज्य युग दिवाकर गुरुदेव और हजारो भाविको की उपस्थिति में शेठ श्री माणेकलाल चुनीलाल के हस्तो से मूलनायक श्री ऋषभदेव प्रभु का गर्भगृह में प्रवेश महोत्सव हुआ। ___और पूज्य युगदिवाकर गुरुदेव श्री की पुण्य प्रेरणा से अनेक जिनालयो के ट्रस्टो और धर्मप्रेमी उदार श्रीमंतो की तरफ से लाखो रूपयो का सहयोग मिलने से उस समय के रूपये १० लाख से ज्यादा खर्च से प्रभु प्रवेश के बाद १० महिनो के समय में गंगनगामी तीन महाशिखर, रंगमंडप आदि तैयार हो गया और वि. सं. २०२० का फागुण वदि ३, रविवार, ता. १-३-१९६४ के परम पवित्र शुभ मुहूर्त में परम पूज्य सिद्धान्त निष्ठ आचार्य भगवंत श्री विजय प्रताप सूरीश्वरजी म. सा. और परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. एवं आपके विशाल साधु - साध्वी परिवार की पुण्य निश्रा में चेम्बुर तीर्थ का ऐतिहासिक और यादगार अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव बडे ठाठ माठ से धामधूम पूर्वक मनाया गया। मूलनायक श्री ऋषभदेव प्रभु ५१" की प्रतिष्ठा जैन संघ के अग्रणी शाह सौदागर सेठ श्री माणेकलाल चुनीलाल शेठ के शुभहस्तो से की गई और अन्य महानुभावो ने अन्य जिन बिम्बो की प्रतिष्ठा की थी। प्रतिष्ठा महोत्सव के १० दिनो तक सुबह से शामप्रर्यन्त हजारो भाविको, और अंतिम प्रतिष्ठा के दिन ४०, ००० भाविको का साधर्मिक वात्सल्य, बडे बडे भोजन मंडपो में मुंबई में प्रथमबार कुरशी - टेबल के उपर बैठाकर भक्तिपूर्वक जीमाने की व्यवस्था के साथ बडा भारी आयोजन किया गया था, और भी विविध प्रकार के कई आयोजन किये गये थे। लाखो की जनता ने इस महामहोत्सव का लाभ लिया था, तब से चेम्बुर का महाप्रासाद महानगर का महान तीर्थ बन गया और तब से चेम्बुर जैन संघ की हर तरह से उन्नति के साथ चेम्बुर की समस्त जनता में आबादी बढ़ रही हैं। श्री ऋषभदेव भगवान सबकी श्रद्धा और भक्ति के केन्द्र हो चूके हैं । लाखो मुंबई वासीयो के लिये यात्राधाम बन गया हैं। प्रतिष्ठा के बाद अल्प समय में ही पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से श्री मूलजीभाई जगजीवन सवाई जैन उपाश्रय, श्री प्रागजीभाई झवेरचंद वर्धमान तप आयंबिल खाता, श्री शान्तिलाल सुन्दरजी आरोग्यभवन और धर्मशाला, श्री नरेन्द्रकुमार नटवरलाल जैन भोजनशाला, श्री रंभाबेन व्रजलाल केशवजी जैन पाठशाला, श्री कलावतीबेन फत्तेचन्द जैन पुस्तकालय आदि अनेक आराधना केन्द्रो की स्थापना से तीर्थ की सुविधा बढ़ गई थी। __ प्रतिवर्ष कार्तिकी पूर्णिमा, फागुण सुदि १३ की छ गाऊ की यात्रा, फागुण वदि ३ की प्रतिष्ठा का सालगिरि दिन, चैत्री पूर्णिमा, वैशाख सुदि ३ अक्षय तृतीया के पर्व दिनो में यात्रा का बडा मेला लगता हैं । भाविको के लिये भाता और साधर्मिक वात्सल्य होता हैं । दूर - नजदीक से अनेक छ 'री' पालक यात्रा संघ आते हैं । वि. सं. २०२१ से इस तीर्थ में सामूहिक वर्षीतप पारणा का आयोजन शत्रुजय नगर में बडे बडे मंडपो में सब तरह की सुविधाओं के साथ किया जाता हैं। इस तीर्थ में पाँच For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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