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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२२ मुंबई के जैन मन्दिर तप महाआराधना के मालारोपण महोत्सव के सुवर्ण अवसर के साथ आचार्य पदार्पण होने के बाद, पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. विहार करके थोडे दिनो में चेम्बुर पधारे और यहाँ आपके पुण्य पदार्पण के साथ ही आपकी प्रभावशाळी प्रेरणा और मार्गदर्शन से शेठ श्री कपूरचन्द संघराज के स्वर्गीय भाई श्री पोपटलाल संघराज की धर्मपत्नी प्रेमकुंवरबेन और उनके कुटुंबीजनोने, श्री कपूरचन्द शेठ के आत्मश्रेयार्थ, चेम्बुर नाका के पास सघन वृक्ष घटाओ और हरियाली से आच्छादित रमणीय विशाल राजमार्ग पर तीर्थस्वरूप रम्य और भव्य महाजिनालय के निर्माण हेतु श्री ऋषभदेवजी जैन देरासर और साधारण खाता ट्रस्ट - चेम्बुर की स्थापना करके इस ट्रस्ट को वह भूमि खण्ड और श्री ऋषभदेव प्रभु की अपूर्व शिल्प परिमंडित भव्य भाववाही रमणीय प्रतिमा ५१" (परिकर के साथ १०१") अर्पण की... और उसी दिन वि. सं. २००७ में इस ट्रस्ट ने तत्कालीन जैन संघ के सहयोग के साथ परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में शिखरबद्ध लघु जिनालय का खनन - शिलारोपण करके जिनालय निर्माण का प्रारंभ किया। भूमिगृह तक कार्य होने के बाद वि. सं. २००८ में परम पूज्य युगदिवाकर आचार्यदेव का गुजरात में बडौदा में श्री शान्तिनाथ जिनालय की अंजनशलाका और प्रतिष्ठा हेतु प्रयाण हुआ, और इस तरफ शासनदेव को चेम्बुर की इस धन्य धरा पर छोटा जिनालय मंजूर नही होगा, किन्तु तीर्थ स्वरुप भव्य और विशाल महाप्रासाद का शासनदेव का संकेत होगा, इसीलिये जिनालय का निर्माण कार्य आगे नही बढा। वि. सं. २००९ में मुंबई - पायधुनी - विजयवल्लभ चौक में श्री आदिनाथ जिनालय में परम पूज्य पंजाब केसरी युगवीर आचार्य भगवंत श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ निश्रा में श्री ऋषभदेव प्रभु की भव्य प्रतिमा की अंजनशलाका कराके वर्तमान जिनालय के इशान कोने में एक पतरे की खोली बनाकर उसमें शुभ मुहूर्त में मूलनायक प्रभुजी को बिराजमान करने में आया । समयांतरे वि. सं. २०१८ का फागुण वदि १३ के दिन चेम्बुर में पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्यदेव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का पुन: आगमन हुआ और आपकी निश्रा में कार्यकर्ताओं की सभा में पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शनानुसार भव्य और विशाल महाजिनालय का निर्माण करने के लिये पुन:प्रारंभ करने का निर्णय हुआ और पूज्य गुरूदेव की उपदेश लब्धि के प्रभाव से महाजिनालय निर्माण का फंड प्रारंभ हुआ। शिल्प शास्त्र विशारद श्री नंदलाल चुनीलाल सोमपुरा ने तीन शिखरवाले महाप्रासाद का रेखा चित्र तैयार किया। वि. सं. २०१८ श्रावण वदि २ के शुभ मुहूर्त में परम पूज्य युग दिवाकर आचार्यदेव श्री की शुभ निश्रा में दानवीर शेठ श्री माणेकलाल चुनीलाल शाह के शुभ हस्तो से नूतन महाप्रासाद का खनन - शिलान्यास विधान हुआ। शासन देव की पूर्ण कृपा और पूज्य युग दिवाकर गुरुदेव के जागृत मार्गदर्शन से सिर्फ ९ मास के अल्प समय में विशाल गर्भगृह तैयार होने पर वि. सं. २०१९ For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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