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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २१५ श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय अशोकचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि मण्डल की पावन निश्रा में वि.सं. २०३७ का वैशाख वदि ६, इ सन् १९८१ को हुई थी। भगवान मुनिसुव्रत स्वामी की वर्षगांठ प्रतिवर्ष वैशाख वदि ६ को मनाते है। ओशीया माताजी (राज.) की भव्य तस्वीर जिनालय में सुशोभित है। (३३८) श्री अभिनन्दन स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय १८७, स्कीम ६, रोड नं. २५, श्री अभिनन्दन स्वामी रोड, श्री सोसायटी, सायन (पश्चिम), मुंबई-४०० ०२२. टेलिफोन नं. - ४०७ ३२ ३७ - वी.के. वोरा विशेष :- सायन विभाग का सबसे सुन्दर एवं विशाल गगन चुम्बी जिनालय है। मुंबई महानगर के जैन संघो के अजोड उपकारी पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रेरणा से एवं आपकी प्रभावक निश्रामें इस मन्दिरजी का शिलारोपण सुरेन्द्रनगरवाला शेठ श्री नरशीदास धरमशी शाह के सुपुत्रो श्री चीमनलाल, धीरजलाल नरशीदास घडीयाली परिवार वालो के वरद हस्ते वि. सं. २०२१ का माह सुदि २, ता. ३-२-६५, गुरुवार को हुआ था तथा प्रतिष्ठा वि.सं. २०२५ का जेठ सुदि ५, गुरुवार, ता. १३-५-६९ को परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। इस मन्दिर के मूलनायक भराने का, प्रवेश कराने का तथा प्रतिष्ठा का लाभ सुरेन्द्रनगरवाला धीरजलाल नरशीदास तथा जितेन्द्रकुमार चीमनलाल ने लिया था। इस जिनालय में आरस की ९ प्रतिमाजी, पंचधातुकी ११ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ७, अष्टमंगल १ तथा १ यंत्र भी है। यहाँ पटवा मणिलाल चुनीलाल शीजोलीवाला ज्ञानमन्दिर की व्यवस्था है। उपासरा - पाठशाला तथा सामने चिमनलाल दुर्लभजी ज्ञान मन्दिर भी सुन्दर है। इस ज्ञान मन्दिर - जैन उपाश्रय के लिये भूमि की प्राप्ति प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रबल प्रेरणा से श्री संघ को हुई थी। आपश्री की ही पावन निश्रा में इसका शिलारोपण विधान हुआ था। यहाँ संघकी प्रवृति विशेष रुप से प्रशंसनीय है. जिसमे श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भक्ति मण्डल - श्री झालावाड महिला मंडल, श्री श्रीभनन्दन स्वामी स्नात्र मंडल, श्री अजित शान्ति श्राविका मंडल, श्री अभिनंदन स्वामी सामायिक मंडल, श्री जैन श्रेयस्कर युवक मंडल एवं श्री नवजीवन ग्रुप मंडल की व्यवस्था है। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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