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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१० मुंबई के जैन मन्दिर सिद्धान्त निष्ठ आचार्य भगवंत श्री विजय प्रताप सूरीश्वरजी म. सा. और पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. गोडीजी जैन उपाश्रय - पायधुनी से पधारे थे और आप श्री की पुण्य निश्रा का लाभ श्री संघ को मिला था। __ कई वर्षों के बाद पूज्य पाद युगदिवाकर आ. भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में श्री सीमन्धर स्वामी एवं श्री शान्तिनाथ तथा पद्मावती माताजी की प्रतिष्ठा हुई थी वि. सं. २०४२ का फागुण सुदि ६ रविवार को हुई थी। मन्दिरजी की ओफिस के सामने ही श्री मणिभद्रवीर की देहरी की प्रतिष्ठा वि. सं. २०५० का चैत्र कृष्णा ५, शनिवार को परम पूज्य भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. एवं आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में आपके वि. सं. २०१३ के चातुर्मास में संवत्सरी महापर्व के दिन दिये गए आदेशानुसार श्रीमती जीवीबेन माणेकचन्द जैन श्राविका उपाश्रय और श्री शांतिलाल जीवनलाल अबजी भाई वर्धमान आयंबिल शाला, श्री मणिलाल नगीनदास रामचन्द्र भांखरीया आयंबिल हॉल का उद्घाटन पूज्य पाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत की निश्रा में वि. सं. २०१५ का फागुण वदि ८ को बडी धाम - धूम से हुआ था। उसी दिन आपने स्वयं माटुंगा में वर्षांतपका प्रारंभ किया था। श्रीमती प्रेमकुंवर पोपटलाल रामचन्द्र महेता आराधना हॉल का निर्माण वि. सं. २०३४ में हुआ था। श्री वासुपूज्य स्वामी मूलनायक प्रभु की प्रतिष्ठा का लाभ वढवाण शहर के निवासी सेठ श्री शान्तिलाल जीवनलाल एवं उनकी धर्मपत्नी अ. सौ. पार्वतीबेन ने लिया था । मन्दिरजी के निर्माण में भी उनकी तरफ से तथा स्वर्गस्थ सेठ मनसुखलाल सुखलाल (तारवाला) चुडा निवासी की पुण्य स्मृति में उनकी धर्मपत्नी चंपाबाई तथा उनके सुपुत्रो श्री पुरुषोत्तम दास एवं जितेन्द्रकुमार की तरफसे भी विशेष रूप से सहयोग प्राप्त हुआ था। श्री मणिलाल नगीनदास रामचन्द्र भांखरीया की तरफ से वि. सं. २००९ में स्थापित श्रीमद् बुद्धि सागर सूरीश्वरजी म. जैन पाठशाला सुशोभित हैं । ज्ञानमन्दिर - जैन उपाश्रय __नाथालाल के. मार्ग पर सेठ जीवणलाल अबजीभाई (वढवाणवाला) के सहयोग से वि. सं. २००९, इ. सन १९५३ में श्री माटुंगा जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ ज्ञान मंदिर का निर्माण हुआ हैं। इस ज्ञान मन्दिर - उपाश्रय का शिलारोपण विधान वि. सं. २००७ में माटुंगा श्री संघ के परम उपकारी पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजयधर्म सूरीश्वरजी म. सा. की पावननिश्रा में हुआ था। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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