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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २०९ इस चऊमुखी मूलनायकजी जिनबिम्बो की अंजनशलाका वि. सं. २००४ के वैशाख मास में वढवाण शहर में शासन सम्राट् आ. भ. श्री नेमिसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ निश्रा में हुई थी। उस समय प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. भी वहाँ उपस्थित थे। यहाँ के जिनालय में आरस की १० प्रतिमाजी, पंच धातु के ११ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ६, चान्दी के सिद्धचक्रजी - ६, अष्टमंगल - २ एवं अनेक यंत्रो को नियमित पूजे जाते हैं। पार्श्वयक्ष एवं पद्मावतीदेवी के अलावा दादा कल्याणसागरसूरीश्वरजी म. एवं आचार्य श्री शांतिसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाएँ गंभारे के पीछे की ओर बिराजमान हैं। लगभग ५३ तीर्थो को एवं ऐतिहासिक द्दश्यो को दिवार पर बनाये देखकर मन मोहित हो जाता हैं। मन्दिरजी के पीछे के भाग में ही नाराणजी शामजी महाजनवाडी हैं। इस छ मंजिली वाडी में लिफ्ट की व्यवस्था हैं। (३३०) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय के. ए. सुब्रह्मण्यम् रोड, ब्राह्मणवाडा नाका, वासुपूज्य मन्दिर चौक, ____किंग्स सर्कल, माटुंगा (पूर्व) मुंबई - ४०० ०१९. टेलिफोन-ओ. ४०१ ०७ ७१, रमणीकभाई - ४०२ ३३ ८४ विशेष :- इस भव्य जिनालय की शिलास्थापना महोत्सव वि. सं. २००७ में पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य प्रभावशाली निश्रा में हुी था, बाद में वि. सं. २००८ में आपश्री का गुजरात तरफ विहार होने से जिनालय का प्रतिष्ठा महोत्सव शासन सम्राट आचार्य श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय विज्ञानसूरीश्वरजी म., आ. विजय कस्तूरसूरीश्वरजी म. तथा पन्यासजी श्री यशोभद्रविजयजी गणिवर आदि की पुनित निश्रा में वि. सं. २०११ का जेठ वदि ५, शुक्रवार, तारीख ता. १०-६-५५ को खूब आनंद मंगल के साथ हुआ था। इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री माटुंगा श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ है। इस अति सुन्दर जिनालय में आरस की २२ प्रतिमाजी, पंचधातु की १४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी२, अष्टमंगल - २ सुशोभित हैं। श्री अष्टापद तीर्थ, श्री गिरनार तीर्थ, श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेत शिखर तीर्थ ये चार बडे तीर्थो के अलावा ऐतिहासिक दृश्यों से दिवार एवं रंगमंडप की उपरी छत कलात्मक अनेक रंग भरे डिझाइनो से भरपूर हैं। मन्दिर के आगे की ओर एक तरफ श्री मणिभद्रवीर की देहरी हैं। तथा पिछे की ओर श्री घंटाकर्ण वीर की देहरी हैं । बाजु में पद्मावती माताजी की देहरी शोभायमान हैं। उपरी भाग में प्रथम खण्ड में श्याम रंग के मुनिसुव्रत स्वामी आदि ५ प्रतिमाजी एवं श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिष्ठा वि. सं. २०१७ का श्रावण सुदी ७, शुक्रवार को योगनिष्ठ आचार्य श्री बुद्धिसागर सूरीश्वरजी म. के शिष्य आचार्य कीर्तिसागरसूरि के प्रशिष्य उपाध्याय श्री कैलास सागर गणिवर्य की शुभ निश्रा में हुई थी। इस प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर श्री संघ की विनंती से पूज्यपाद For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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