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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७० मुंबई के जैन मन्दिर श्री कच्छी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक अलचगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिरजी में पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा वि.सं. २०३० का जेठ सुदि १० को परम पूज्य लब्धि-लक्ष्मण के शिशु आ. श्री विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान तथा आजू बाजू में श्री शान्तिनाथ प्रभु श्री वासुपूज्य स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल-२ तथा पावापुरी शोकेस के अलावा पहाडी के दृश्य के रुप में श्री शत्रुजय, श्री गिरनारजी, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री आबुजी - अचलगढ महातीर्थो की रचना बनाई गई हैं। नीचे हॉल में पहले माले पर उपाश्रय तथा दूसरी मंजिल पर मन्दिरजी शोभायमान हैं। जैन पाठशाला भी चालु हैं । सोपारा गाँव की भूमि को पवित्र माना गया हैं। श्रीपाल राजा की नौवी शादी इसी पूण्य भूमि पर हुई थी। शेठ मोतीशाह द्वारा तालाब बनवाते समय खुदाई करते ही भूमि में से श्यामवर्णीय श्री मुनि सुव्रत स्वामी की पाषाण की मूर्ति प्राप्त हुई थी। जिस मूर्ति को आगाशी में मन्दिर बनाकर मूलनायक के रुप में स्थापित करने में आई थी, उस समय प्रथम प्रतिष्ठा भी सेठ श्री मोतीशाह अमीचंद के कर कमलो से हुई थी। नालासोपारा (पूर्व) (२७४) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर 'महावीर ज्योत' बिल्डिंग, ग्राउण्ड फ्लोर, रेल्वे स्टेशन के सामने, नालासोपारा (पूर्व), जि. थाणा, (महाराष्ट्र) ४०१ २०५५ टेलिफोन-९१२-३७ २२ ०७ देवीचन्दजी विशेष :- परम पूज्य आ. श्री विजय नेमि सूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. श्री विजय देव सूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय हेमचंद्र सूरीश्वरजी म., मुनिराज श्री सिंहसेन विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४३ का वैशाख सुदि ११ शनिवार ता. ९-५-८७ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के मन्दिरजी में श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री कल्याण पार्श्वनाथ की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-४, अष्टमंगल-१ तथा पार्श्वयक्ष, पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं। श्री आत्म-वल्लभ समुदाय के साध्वीजी श्री कमलप्रभाश्रीजी, श्री कुमुदप्रभाश्रीजी की प्रेरणा से श्री मुनिसुव्रत जैन युवक मण्डल के संचालन में श्री मुनिसुव्रत जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। मुनिसुव्रत एपार्टमेन्ट के प्रथम माले पर श्रीमती वांसतीबेन डुंगरशी टोकरशी (गाम कोटडा - रोहा कच्छ) आराधना भुवन तथा मुनिसुव्रत उपाश्रय हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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