SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 258
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६८ मुंबई के जैन मन्दिर के अवसर पर पाषाण के श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान ९+२=११” की अंजनशलाका करवाकर यहाँ मेहमान ने के रुप स्थापना की गई हैं। वर्तमान में श्री संभवनाथ श्वेताम्बर मूर्ति पूजक जैन संघ मन्दिरजी के संचालक हैं। (२७०) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर वसई गांव, झण्डा बाजार, किला रोड, (स्टे.) वसई रोड, जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन : ९१२-३२ २४ २९ खेतशी, कल्याणजी; लखमशी नरशी - ३३२ २२२ विशेष :- श्री अचलगच्छ जैन देरासर ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा तथा उपाश्रय एवं विविधलक्षी हॉल की उद्घाटन विधि अचलगच्छाधिपति परम पूज्य आचार्य श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री महोदय सागरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में वीर संवत २५१२ वि.सं. २०४२ का फागुण सुदी २ ता. १२-३-८६ बुधवार को हुई थी। यहाँ के जिनालय में श्री वासुपूज्य स्वामी मूलनायक तथा आजू बाजू में श्री अभिनन्दन स्वामी, श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२ विश स्थानक-१ तथा सुरकुमार यक्ष, चंडादेवी यक्षिणी तथा पद्मावती देवी व श्री महाकाली देवी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ श्री वसई कच्छी जैन युवक मण्डल, श्री वासुपूज्य महिला मण्डल श्री वासुपूज्य भक्ति मण्डल तथा आयंबिल शाला व पाठशाला की व्यवस्था हैं। वसई (पूर्व) (२७१) श्री नेमिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय __गोखीरा, शक्तिनगर, एव्हरशाईन, वसई (पूर्व), जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टेलिफोन : ९१२-३३ २३ ००, ३३ २०६६ - अरविन्दभाई विशेष :- श्री गोखीरा श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस शिखरबंदी जिनालय का भूमिपूजन परम पूज्य भुवनभानु सूरि समुदाय के के पन्यासजी श्री वरबोध विजयजी म. सा. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का वैशाख वद ७ रविवार ता. १९-४-९८ को हुआ था, एवं शिला स्थापना परम पूज्य आ. श्री भुवनभानु सूरि समुदाय के पू. पं. श्री कनकसुन्दर विजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का वैशाख वदि ११ शुक्रवार ता. २२५-९८ को हुई थी। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy