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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १६७ महानन्दसूरीश्वरजी, प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी, प. पू. आ. भ. श्री पद्मानन्दसूरीश्वरजी, आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुआ था। उपाश्रय के मुख्यदाता श्री द्वारकादास रतिलाल फाफडीया के नाम से उपाश्रय का नामकरण हुआ था आलीशान और भव्य उपाश्रय के प्रवेश स्थान पर युग दिवाकर गुरु भगवंत के पुण्य स्मरणार्थ “धर्मद्वार" का विशाल आयोजन पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. के मार्गदर्शनानुसार हुआ हैं। (२६८) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर जैन उपाश्रय कम्पाउण्ड, सत्यम् बंगला के बाजू में, अंबाडी रोड, वसई रोड, जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन : ९१२-३३ २३ ००, ३३ २०६६ अरविंदभाई विशेष :- पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के परिवार के पू.आ.भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से श्री वसई रोड श्वे. मू. तप. जैन संघने इस गृह जिनालय का निर्माण वि.सं. २०५२ में किया है, और उसमें आ.भ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म. की निश्रा में कांदिवली में वि.सं. २०५३ में अंजनशलाका की हुई श्री संभवनाथ प्रभु की प्रतिमाजी की स्थापना वि.सं. २०५३ का माह सुदि ११ को की गई है। यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ भगवान के साथ पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल-१ बिराजमान हैं। वसई गाँव (२६९) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर वसई बाजारपेठ, पोष्ट के सामने, वसई गाँव, (स्टे.) वसई रोड, जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन : रामचन्द्रभाई-(ओ.) ९१२-३२ २३ २६, ९१२-३२ ४३ २६ (घर) विशेष :- श्री वीर विजय श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा वीर संवत २४९८ वि.सं. २०२८ में परमपूज्य साहित्य भूषण मुनिराज श्री कस्तूर सागरजी म. के सदुपदेश से कच्छ बाडा निवासी स्व. श्री रवजी सवा कराणी की धर्मपत्नी स्व. कोरईबाई की पुण्य स्मृति में श्री गांगजी रवजीने गंभारे को बनवाया था। उसके साथ कोडाय निवासी श्री डुंगरशी चेरीटेबल ट्रस्ट की ओर से श्रीमती राजबाई मावजी तथा अन्यजनो के सहयोग से व्याख्यान हॉल बनाकर भेट किया गया था। यहाँ पाषाण की मूलनायक श्री संभवनाथ सहित कुल ३ प्रतिपाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ तथा इष्ट देवी-देवता सुशोभित हैं। प.पू. आ. भ. श्री मोहन-प्रताप-धर्मसूरीश्वर समुदाय के प. पू. आ.भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में वि.सं. २०५३ में भाईन्दर रथ मन्दिर के अंजन शलाका For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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