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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १२७ शतावधानी आचार्य देव श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से श्री दिनेशचन्द्र बालचन्द दोशी, श्री प्रतापराय दुर्लभदास सेठ के परिवार द्वारा निर्मित नूतन धर्म-शान्ति भवन का उद्घाटन आ. श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५१ का जेठ सुद १३ रविवार ता. ११-६-९५ को हुआ था । कांदिवली (पूर्व) में सबसे बडा विशाल और रमणीय उपाश्रय यह है। उसमें विविधलक्षी होल और आराधना होल आदि की व्यवस्था है। यहाँ के आफिस हॉल में कच्छ भद्रेश्वर तीर्थ दर्शनीय हैं। यहाँ श्री धर्मशान्ति महिला मंडल, श्री धर्मशान्ति सामायिक मण्डल, श्री धर्मशान्ति जैन युवक मंडल अपनी भक्ति भावना में अग्रसर हैं। ___ महागिरि, हस्तगिरि, राजगिरि, पावापुरी, सिद्धाचलगिरि इत्यादि विभिन्न तीर्थो के नामवाली बिल्डिंगो के बिच में यह भव्य शिखरबंदी जिनालय सुविशाल सुरम्य शोभायमान हो रहा हैं। (२०६) श्री शीतलनाथ भगवान गृह मन्दिर बी. ७०३, पावापुरी एपार्टमेन्ट, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय के पीछे, अशोक चक्रवर्ती रोड, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. __टे फोन : ८८७ ३४ २७, ८८७ ४९ ५२ पंडित धनंजय जैन विशेष:- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री पंडित धनंजय जशुभाई जैन प्रेमकेतु हैं। आप साहित्यकार, चित्रकथा लेखक, विद्वान, पंडित हैं। ___ परम पूज्य भुवनभानुसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनिराज श्री दर्शन विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४९ का वैशाख सुदी १२ ता. ३-५-९३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ पंचधातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १, अष्टमंगल १ बिराजमान हैं । (२०७) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर श्रेयांस बिल्डींग, पहला माला, A विंग, ब्लोक नं. ४, दामोदर वाडी के पास, अशोक चक्रवर्ती रोड, कांदिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. दे फेन : ८८७ ०० ५४, ८८७ ६० ८७ - अतुलभाई विशेष:- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री अतुलभाई व्रजलाल शाह हैं। परम पूज्य आ. श्री विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म., आचार्य श्री विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४६ का वैशाख वद १० रविवार ता. १०-५-९० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पंच धातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १, अष्टमंगल १ सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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