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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२६ मुंबई के जैन मन्दिर (२०४) श्री वासुपूज्यस्वामी भगवान गृह मन्दिर लोखण्डवाला टाऊनशीप, आकुर्ली रोड, अलीका नगर, बिल्डींग नं. १० A १०३ । पहला माला, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. टे. फोन : मुकुंदभाई - ८८७ २५ ४७, ८८७५७ ४४, मोहनभाई पारेख - ८८७ ९१ ४२ विशेष :- श्री अरिहन्त धाम जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की में वर्धमान तपोनिधि आ. श्री विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के पू. आ. श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का वैशाख सुदी १३ सोमवार ता. २३-५-९४ को भगवान का प्रवेश कराया था। यहाँ मूलनायक पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी ; सिद्धचक्रजी १, वीसस्थानक १ तथा पंच धातु की चोविशी बिराजमान हैं । यहाँ श्री वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमाजी श्री मधुसुदन प्राणलालभाई गोसालिया घाटकोपरवाला द्वारा भराई हुई प्राप्त हुई हैं। (२०५) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय अशोक ग्राम कॉम्पलेक्ष, अशोकनगर कम्पाउण्ड में, अशोक चक्रवर्ती रोड, ____धर्मशान्ति धाम, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. टे. फोन : ऑफिस : ८८६ ५३ ६१, प्रतापभाई - ५१३ ६६ ५६, भूपतभाई - ८८७ १४ ५१ विशेष :- इस भव्य शिखरबंदी जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री अशोक ग्राम जैन टेम्पल ट्रस्ट हैं। परम पूज्य आ. भ. श्री विजय मोहन-प्रताप धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी के परिवार के आचार्य भगवंत शतावधानी श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म., विशद वक्ता आ. भ. श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म., विद्वद्वर्य आ. भ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. एवं व्या. सा. न्या. तीर्थ आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४४ का जेठ सुद १० को भव्य ठाठमाठ से श्री अंजनशलाका - प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ ४१" तथा आजू बाजू में श्री शान्तिनाथ व श्री महावीर स्वामी सहित पाषाण की ७ प्रतिमाजी तथा पंच धातु की प्रतिमाजी व सिद्धचक्रजी वगैरह २५ का अंदाजा हैं। श्री पुंडरीक स्वामी, श्री गौतम स्वामी एवं आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की और आ. श्री शान्तिसूरीश्वरजी म. की प्रतिमा सुशोभित हैं। जिनालय के एक तरफ श्री मणिभद्र वीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री नाकोडा भैरुजी दूसरी तरफ श्री पद्मावती देवी, श्री लक्ष्मी देवी एवं श्री सरस्वती देवी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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