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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १२५ कान्दिवली (पूर्व) (२०३) (२०३) __ श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर श्री चिन्तामणि -TOr ATTA रामनगर, महादेव देसाई मार्ग, रेलवे फाटक के दायी ओर, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. टे. फोन : रसिकभाई - ८८७ ५५ ३०, सुमतिलालभाई - ८८७ ५५ ४९, ओफिस देरासर - ८८६ ५१४३ विशेष :- श्री रामनगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ कान्दिवली (पूर्व) द्वारा संस्थापित एवं संचालित सर्वप्रथम गृह मंदिर के लिये श्री कांदिवली जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ और झालावाड नगर जैन संघ के उदार सहयोग से प्राप्त हुई ५५५ चौरस फुट के भूमि में श्री शान्तिनाथ प्रभु के गृह मन्दिर की स्थापना प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वर परिवार के प. पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से वि. सं. २०५१ का जेठ सुद ११ शुक्रवार को हुई थी। उस वक्त परम पूज्य आ. भ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म.की शुभ प्रेरणा से श्री धर्मसूरीश्वरजी म. जैन पाठशाला एवं श्री धर्मसूरीश्वरजी जैन युवक मण्डल की स्थापना हुई थी। जैन पाठशाला के लिये श्रीमती हीराबेन चन्दुलाल आजोल वालो की तरफ से सहयोग प्राप्त हुआ था। बाद में नूतन भव्य जिनालय व उपाश्रय का निर्माण होने के बाद पुनः प्रतिष्ठा, धर्मधाम आराधना भवन का उद्घाटन, प्रतिमाओं का नगर प्रवेश परम पूज्य आ. भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म., पू. मुनिश्री राजरत्न विजयजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का माह सुद १२, बुधवार, ता. १९-२-९७ को सभी विधि ठाठ माठ से हुई थी। यहाँ कांदीवली (प.) श्री मुनिसुव्रत स्वामी महाजिनालय में वि. सं. २०५३, माहमासमें आपश्री की निश्रा में अंजनशलाका की हुई मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान तथा आजू बाजू में श्री आदिनाथ भगवान और श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ एवं अष्टमंगल - १ के अलावा पार्श्वयक्ष, श्री पद्मावती देवी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर बिराजमान हैं। यहाँ आपकी प्रेरणा से श्रीमती गुणवंतीबेन मोहनलाल करसनजी महेता मोरबी वाला प्रार्थना खण्ड श्रीमती रमीलाबेन गुणवंतलाल चंदुलाल शाह आजोल वाला स्वाध्याय हॉल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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