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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११८ मुंबई के जैन मन्दिर कान्दिवली (पश्चिम) (१९३) श्री संभवनाथ भगवान भव्य गृह मन्दिर दर्शन एपार्टमेन्ट के कम्पाउंड में, शंकर गली, शंकर मन्दिर के सामने, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : ८०७ २८ ४२ श्री भोगीलाल पुरूषोत्तम, ८६२ ६५ ५४ - वसंतभाई विशेष :- धांगध्रा निवासी वोरा पुरूषोत्तमदास सुरचन्दभाई और उनके सुपुत्रो ने पूज्य आ. भ. श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से और पूज्य आ. भ. श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. के. सदुपदेश से जिनालय बनाया हैं। इस जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. भ. श्री विजय मोहनसूरीश्वरजी म. के पट्टधर प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २००६ का जेठ सुदी ५ को हुई थी। कान्दिवली विभाग में सबसे प्रथम यही जिनालय हैं। मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु के आजू बाजू में अत्यंत रमणीय पार्श्वनाथजी की फणावाली दो प्रतिमाजी हैं । ये दो प्रतिमाजी वि. सं. २००३ में पाकिस्तानकी रचना के समय, करांची नगर के जिनालय से समुद्र मार्ग से मोरबी नगर में प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के वहाँ के चातुर्मास में लाई गयी थी और वहाँ से आपकी प्रेरणा से वि. सं. २००६ में यहाँ लाकर प्रतिष्ठित की गई हैं। यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु की धातु की एक प्रतिमाजी तथा दूसरी पाषाण की ८ प्रतिमाजी, दुसरी पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ५ एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। गंभारा में कांच की डिझाईन, रंग मंडप में एवं छत में कांच के कारीगरी की डिझाईन तथा २४ तीर्थंकरो की तस्वीर तथा संभवनाथ प्रभु का जीवन चरित्र द्दश्य भी दर्शाया गया हैं। यहाँ सेठ पुरूषोत्तम सुरचन्द साधना मन्दिर का उद्घाटन वि. सं. २०४६ का माह वद-२ रविवार दि. ११-२-१९९० को हुआ था। यहाँ नीति सूरि जैन पाठशाला, पाठशाला का अपना विशाल भवन,श्री जिन आराधक मण्डल, तथा वीतराग भक्ति मंडल भी लोकप्रिय हैं। (१९४) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी महाजिनालय सुन्दर बाग के सामने, भुलाभाई देसाई रोड, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : (ओ.) ८०७ २८ ४७, ८०७०३ ५४ जयन्तिलाल भाई विशेष :- वि. सं. २०१६ से वि. सं. २०३२ तक के समय खंड में मुंबई महानगर की कायापलट करके उनको जगह जगह पर भव्य जिनालय, उपाश्रय आदि अनेकानेक धर्मस्थानो से मंडित करने का भगीरथ पुरूषार्थ करने वाले, महानगर के महाउपकारी पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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