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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर वद ११ ता. १९-८-६८ को यहाँ ज्ञानशाला के होल में परम पूज्य सिद्धान्त रक्षक आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. एवं प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में चल प्रतिष्ठा हुई थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ प. पू. युग दिवाकर आचार्यदेव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणासे चेम्बर तीर्थसे प्राप्त पाषाण के श्याम वर्णीय श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री शान्तिनाथजी, श्री महावीर स्वामी की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ३ तथा अष्टमंगल १ सुशोभित हैं । १११ यहाँ श्री शांतिभाई लल्लुभाई जैन उपाश्रय, श्री मुनिसुव्रत स्वामी महिला मण्डल, श्री मुनिसुव्रत स्वामी युवक मण्डल तथा श्री सामायिक मण्डल की व्यवस्था हैं । ❀ ❀ * (१८०) श्री शीतलनाथ भगवान गृह मन्दिर धनजी वाडी, खोत कूवा रोड, राणी सती मार्ग, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : प्राणलालभाई - ८८२३९१४, रमणलालभाई - ८८३५० ३६ विशेष :- :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री शीतलनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ हैं। जिसकी चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. भगवन्त विजय प्रेम सूरीश्वरजी म. के समुदाय के पंन्यासजी श्री चरण विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०२२ का फागुण सुद ५ शुक्रवार ता. २५ - २ - ६६ को हुई थी। बाद में वि. सं. २०३५ का वैशाख सुद ३ को अंजन शलाका की गई दूसरी प्रतिमाजी बिराजमान की गई हैं। (१८१) यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४, अष्टमंगल - १ तथा शत्रुंजय व सम्मेतशिखरजी के पट भी दर्शनीय हैं । यहाँ के संघ को शिखरबंदी जिनालय बनाने की भावना हैं। श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय आचार्य श्री धर्मसूरीश्वरजी मार्ग, हवा हिरा पार्क, कुरार विलेज, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०००९७. टे. फोन : ओ. ८४० ४९७७, दामजीभाई - ८४० ११५३, गणशीभाई - ८८३४०२० विशेष :- यहाँ पहले गृह मन्दिर का और जैन उपाश्रय का निर्माण प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय मोहनप्रताप के पट्टधर युग दिवाकर प. पू. आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पावन प्रेरणा से हुआ था । एवं इसकी चल प्रतिष्ठा आपकी ही शुभ निश्रा मे वि. सं. २०३० का मगसर सुद ११ को चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त प्रतिमाओकी गई थी। For Private and Personal Use Only यहाँ के संघ व ट्रस्ट मण्डल के पुण्य प्रताप से एक भव्य और दो रंग मंडपवाले शिखरबंदी नयनरम्य जिनालय का निर्माण हुआ है । इस नूतन शिखरबंदी जिनालय का खनन मुहूर्त व शिला स्थापना विधि परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वर परिवार के प.पू. आ.
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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