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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ११० मुंबई के जैन मन्दिर इस नूतन गृह मन्दिरजी का खनन मुहूर्त वि. सं. २०५२ का फागुण वद ३ शुक्रवार ता. ८-३-९६ को नाडोल निवासी सेठ श्री साहेबचन्दजी चाँदमलजी सोनीगरा परिवार की तरफ से किया गया तथा शिलास्थापना विधि मुंडारा निवासी श्री पानीबेन दानमलजी कोठारी परिवार वालो की तरफ से हुई थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुन: नूतन प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी म. आ. विजय रत्नाकर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का वैशाख सुद - ६ बुधवार ता. २४-४-९६ को हुई थी। आचार्य विजय रत्नाकर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में श्री राजस्थान आदिनाथ जैन संघ द्वारा काम ध्वजा चढावे का आदेश सेठ श्री गणपतलाल सेसमलजी पुनमिया परिवार को दिया गया हैं । यहाँ आदीश्वर जैन महिला मण्डल की व्यवस्था हैं । ❀ ❀ (१७८) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर भगवान निवास, ग्राउण्ड फ्लोर, काठीयावाडी नवरात्री चौक के सामने, कुंवारी रोड, राणी सती मार्ग, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : श्री अमृतलाल भाई, श्री शान्तिलाल भाई - ८८३६० १२ विशेष :- सेठ श्री अमृतलाल भारमल शाह इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक हैं । आपके गृह मन्दिरजी की प्रथम चल प्रतिष्ठा परम पूज्य सिद्धान्त महोदधि आचार्य विजय प्रेम सूरीश्वरजी म. के समुदाय के पूज्य मुनिराज श्री कीर्तिसेन विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३० का फागुण वद - ५ ता. १३-३-७४ को हुई थी । श्री आदिनाथ मरुदेवा वीरामाता अमृत जैन पेढी ट्रस्ट द्वारा इस नव निर्मित गृह मन्दिरजी की पुनः चल प्रतिष्ठा आचार्य विजय जयघोष सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा मे वि. सं. २०४९ का जेठ वद ७ शुक्रवार ता. ११-३-९३ को हुई थी । इस गृह मन्दिर में पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं । - For Private and Personal Use Only १, *❀ (१७९) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर वेलाणी ईस्टेट, पोस्ट ओफिस के उपर, दूसरा माला, खोत कूवा मार्ग, राणी सती मार्ग, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०००९७. टे. फोन : ८८३५३ ३९ शांतिलालभाई, ८४० ३३५९ - रमणीकलालभाई विशेष :- श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपाच्छ जैन संघ की स्थापना एवं ज्ञान शाला की स्थापना वि. सं. २०२३ का आषाढ सुद ३ ता. ९-७-६७ को हुई थी । वि. सं. २०२४ का श्रावण
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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