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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १०६ ( १७० ) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (मलाड (पूर्व) श्री श्रेयासनाथ भगवान भव्य गृह जिनालय लोकल बोर्ड स्कूल लेन, देना बैंक के बाजू में, दफ्तरी रोड, मलाड (पूर्व), मुंबई. -४०० ०९७. टे. फोन : ओ. ८८३००९६, कांतिभाई सी. शाह, ८८३५९ ३८ रमेशभाई अमृतलाल ८८९०९३८ विशेष ::- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के समुदाय के परम पूज्य पंन्यासजी चरण विजयजी म. की शुभ निश्रा मे वि. सं. २०३१ का श्रावण वद ८ ता. ३०८-७५ शनिवार को प्रथम चल प्रतिष्ठा हुई थी । इस रमणीय मनोहर जिनालय का संचालक जगद् गुरू श्री हीरसूरीश्वरजी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं । यहाँ के संघ व ट्रस्टीओ के कुशल परिश्रम से मलाड (पूर्व) विभाग में एक उत्तम छ मंजिल भवन का निर्माण हुआ हैं । जिसमें लिफ्ट की व्यवस्था हैं । सिद्धान्त महोदधि आ. भगवन्त विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय हीरसूरीश्वरजी म. महान तपस्वी आ. विजय भुवन भानु सूरीश्वरजी म. आदि ठाणा - ९० की निश्रा में वि. सं. २०३५ का वैशाख सुदी ३ को भव्य अंजन शलाका महोत्सव हुआ था । इस शुभ प्रसंग पर वैशाख सुद ३ के दिन १६ पुण्यात्माओ का भव्य दीक्षा महोत्सव भी हुआ था । प्रतिष्ठा महोत्सव वि. सं. २०३५, वैशाख सुद ६, बुधवार, ता. २ ५-७९ को ठाठ - माठ से हुआ था । जब हम ग्राउन्ड फ्लोर पर नजर धूमाते हैं तो एक सुन्दर व्याख्यान हॉल बनाया हुआ हैं I आधुनिक ढब के इस हॉल मे श्रोताजनो को चारो ओर से प्राकृतिक खुली हवा का अनुभव लेते हुए व्याख्यान सुनने को मिलता हैं । अन्दर के भाग की ओर आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं । ग्राउन्ड फ्लोर पंन्यास प्रवर श्री चरण विजयजी गणिवर स्वाध्याय हॉल नामकरण से सुशोभित हैं । जब हम प्रथम मंजिल पर चढते है तो हमे प. पू. आचार्य श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी व्याख्यान हॉल नजर आता है, जहाँ जिनालय एवं उपाश्रय का कार्यालय तथा सामने के एक कमरे मे आ. विजय प्रेम सूरीश्वरजी म. एवं पंन्यासजी श्री चरणविजयजी म. की गुरु प्रतिमाजी बिराजमान हैं। दूसरी मंजिल पर पंन्यास प्रवर श्री चरण विजयजी गणिवर जैन ज्ञान मन्दिर दिखाई देता हैं । तीसरी मंजिल पर मूलनायक श्री श्रेयांसनाथ प्रभु सहित पाषाण के ४ प्रतिमाजी तथा कांच की कारीगरी के साथ शत्रुंजय पट तथा ऐतिहासिक दृश्यो की झलक दिखाई देती हैं । For Private and Personal Use Only चौथी मंजिल पर मूलनायक श्री महावीर स्वामी सहित पाषाण की २६ प्रतिमाजी, पंचधातु के ९ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी - ६ सुशोभित हैं। पाँचवी मंजिल पर मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा आजू बाजू में श्री मल्लिनाथजी एवं श्री सीमन्धर स्वामी सहित पाषाण की २६ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। छठ्ठी मंजिल पर मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु सहित आजू बाजू में श्री नेमिनाथ तथा श्री पद्मनाभ
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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