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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- इस गृह मन्दिरजी का निर्माण श्रीमती पुष्पाबेन किशोरचंद्र अजमेरा (गासालीया) परिवार वालो ने किया हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. के समुदाय के मुनिराज श्री कमलरत्न विजयजी एवं मुनिराज श्री दर्शनरत्न विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४३ का जेठ सुद १० रविवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी । (१६८) यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामी एवं आजू बाजू में सुपार्श्वनाथ, शीतलनाथ प्रभु की आरस की तीन प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। इस गृह मन्दिरजी के संचालक श्री विजया भवन जैन संघ हैं । यहाँ विजया भवन सामायिक मण्डल एवं विजया भवन जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं । ❀ (१६९) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर लिबर्टी गार्डन रोड नं. ३, अशोक भवन और सरस्वती निवास के बीच में, रेखानिकेतन के सामने, मलाड (प.), मुंबई - - ४०० ०६४. टे. फोन : हेड ऑ. ८८९ २२७६, ८८२ ६४५५ विशेष :- श्री मलाड श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ संचालित इस मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य जिनागम सेवी आचार्य भगवन्त श्री दौलत सागर सूरीश्वरजी म., श्री नंदिवर्धन सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का वैशाख वद ६ बुधवार ता. २४-५९६ को हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी तथा आजूबाजू में श्री शान्तिनाथ एवं श्री आदिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी -२, अष्टमंगल १ तथा श्री मणिभद्रवीर एवं श्री चक्रेश्वरी देवी भी बिराजमान हैं । यहाँ श्री वासुपूज्य स्वामी युवक मण्डल की व्यवस्था हैं । १०५ ❀ श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर मातृछाया, ग्राउन्ड फ्लोर, मार्वे रोड, चुनीलाल गिरधरलाल पथ, स्वामी विवेकानन्द रोड, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : अनुपमभाई - ८०२०३८१, ललितभाई - ८०८१६६५ विशेष :- श्री रिध्धि सिध्धि आदर्श श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय में मेहमान के रूप में पाषाण की एक प्रतिमाजी, पंच धातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । For Private and Personal Use Only परम पूज्य मोहनलालजी म. साहेब के समुदाय के पू. पन्यास श्री मुक्तिप्रभ मुनिजी म. पू. पन्यास श्री विनीतप्रभ मुनिजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ श्रावण सुद १४ रविवार ता. १७८- ९७ को इस गृह मन्दिर की स्थापना हुई थी । यहाँ उपासरा तथा रत्न संचय जैन पाठशाला हैं ।
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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