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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १०७ स्वामी सहित पाषाण की ४४ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। पुरे जिनालय में इस वक्त ९६ प्रतिमाजी पाषाण की बिराजमान हैं। यहाँ साधु - साध्वीजी भगवन्तो के लिये अलग अलग उपासरा, जैन पाठशाला, श्री श्रेयासनाथ स्नात्र मंडल, श्री |यासनाथ स्वामी श्राविका मण्डल, श्री श्रेयासनाथ महिला मंडल, श्री श्रेयांसनाथ स्वयं सेवक मण्डल तथा श्री वर्धमान संस्कृति धाम युवक मण्डल की व्यवस्था हैं। (१७१) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर सिद्धार्थ एपार्टमेन्ट, कम्पाउन्ड में, मिलीटरी CODगेट, मंछुभाई रोड, दफ्तरी रोड, ___मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ८८८ ६७ ४४, ८८८ २७ ६४ मूकेशभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी का संचालन श्री न्यु सिद्धार्थ नगर जैन संघ द्वारा हो रहा हैं। जिसकी चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री लब्धि - लक्ष्मण के पट्टधर आ. श्री विजय कीर्तिचंद्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३१ का जेठ वद १३ सोमवार को हुई थी। यहाँ पाषाण की श्यामवर्णीय श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री महावीर स्वामी, श्री शान्तिनाथ प्रभु की तीन प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ एवं अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। यहा श्री जैन पाठशाला तथा पद्मामाता महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। (१७२) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर श्री सम्राट अशोक को. हाउसींग सोसायटी, अ-२ बिल्डींग, तिसरा माला, गोशाला लेन, मलाड (पूर्व), मुंबई -४०० ०९७. टे. फोन : ८८३ ४९११ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री नवीनचन्द्र शनालालभाई हैं। पू. पंन्यास प्रवर श्री चन्द्रशेखर विजयजी म. की प्रेरणा से अहमदाबाद से लायी हुई प्रतिमाजी की अंजन शलाका परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. साहेबजी की शुभ निश्रा में बोरीवली में हुई थी। परम पूज्य आचार्य भगवन्त भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के आचार्य श्री विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. संवत २०४६ का मगसर सुदी ३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पाषाण की मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी की एक प्रतिमाजी, पंचधातुकी एक शांतिनाथप्रभु की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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