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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ९२ मुंबई के जैन मन्दिर ( राजस्थान ) वाले शा. अचलदासजी सुपुत्र शा. चुनीलालजी की धर्मपत्नी गुलाबाई ने परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन सूरीश्वरजी म. साहेबजी के पट्टधर प. पू. आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रताप सूरीश्वरजी म. साहेबजी की शुभ प्रेरणा से विक्रम संवत २००७ के वैशाख महिने में ४२१ वार जमीन साधारण खाते में भेट की थी। बाद में परम पूज्य सिद्धान्तनिष्ठ आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. साहेबजी की शुभ निश्रा में वि. सं. २०१३ का माह सुद ६ बुधवार प्रतिष्ठा हुई थी । मन्दिरजी में आरस की ८ प्रतिमाजी, पंच धातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४ तथा यक्षयक्षिणी के गोखले भी दर्शनीय हैं। कांच के बनाये रंग मण्डप की छत तथा दिवारो पर पावापुरी, गिरनारजी, शत्रुंजय, सम्मेतशिखरजी, अष्टापदजी वगैरह तीर्थ एवं ऐतिहासिक दृश्यो से जिनालय सुशोभित हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ उपासरा, श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला, श्री पार्श्वजिन पुस्तकालय, श्री चिन्तामणि जैन पाठशाला तथा पार्श्व महिला मंडल हैं। राजस्थानी गुजराती कच्छी तीनो संघो के जैन भाई मिलकर मंदिरजी का संचालन कर रहे हैं । - श्वेताम्बर श्री जैन गुजराती संघ द्वारा संचालित सेठ चिमनलाल हिराचन्द ज्ञान मन्दिर उपाश्रय, श्री कनकाबेन देवराज मेघाण नगाडा ( गाम नाना मांढा) आयंबिल शाला तथा राजस्थान जैन संघ संचालित राजस्थान होल की व्यवस्था हैं। 1 श्री अचलगच्छ जैन उपाश्रय राजेन्द्र पार्क, स्टेशन रोड, गोरेगाँव (प.) मुंबई - ४०० ०६२. विशेष श्री गारगाँव अचलगच्छ श्वेताम्बर मू. पू. जैन संघ द्वारा इस उपाश्रय की स्थापना वि. सं. २०३३, ता. १३-५-१९७७ को हुई थी। शीघ्र ही यहाँ के संघ की तरफ से परम पू. आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से गृह मन्दिर की स्थापना होनेवाली हैं। ❀ ❀ ❀ -- (१४५) श्री धर्मनाथ भगवान भव्यशिखर बंदी जिनालय प्लोट नं. ८६, जवाहर नगर रोड नं. ४, गोरेगाँव (प.) मुंबई - ४०० ०६२. टे. फोन ओ. : ८७२१२८९, सनालाल ८७२ २८००, धीरुभाई - ८७२४२७४ विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री जवाहरनगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ हैं। इसकी सर्व प्रथम प्रतिष्ठा वि. संवत २०१८ का वैशाख वद ६ को परम पूज्य आचार्य भगवन्त कैलाश सागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ प्रेरणा व शुभ निश्रा में हुई थी। इ जिनालय की पुन: प्रतिष्ठा वि. संवत २०४४ का माह वद ५ को परम पूज्य आचार्य भगवंत सुबोध सागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में हुई थी । For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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