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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर मन्दिरजी में पाषाण की १२ प्रतिमाजी, पंच धातु की - ३० प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १७, वीस स्थानक - १, अष्टमंगल - ३ बिराजमान हैं। मन्दिरजी के एक तरफ श्री पद्मावती माताजी की देहरी एवं दूसरी तरफ मणिभद्रवीर की देहरी सुशोभित हैं तथा बाहर की तरफ मन्दिरजी की ओफिस हैं। यहाँ के ज्ञान भण्डार का खूब महत्व हैं। अनेक प्रकार के ग्रंथ प्राप्त करना साधु-साध्वीजी भगवन्तो एवं विद्वानो के लिये सुनहरा मौका हैं । कायमी आयंबील शाला की व्यवस्था हैं । साधु - साध्वी भगवन्तो के लिये चातुर्मास हेतु अलग अलग उपासरा की व्यवस्था है। यहाँ के संघ को धन्यवाद हैं, जहाँ दिन में ३ टाइम जैन पाठशाला चलती है, भाईयो के लिये, बहनो के लिये और बडो के लिये। यहाँ श्री घोघारी पार्श्व महिला मंडल, पाटण प्रभु भक्ति मंडल, राघनपुर महिला मण्डल, अरिहन्त महिला मंडल, १०८ गोल महिला मंडल, धर्म जिन महिला मण्डल, धर्मजिन स्नात्र मंडल, शान्ति जिन नित्य स्नात्र गुंजन, महावीर सामायिक मण्डल तथा जवाहर नगर जैन युवक मंडल की व्यवस्था हैं। _ वि. सं. २०५३ का मगसर सुद ३ ता. १३-१२-९६ को परम पूज्य आ. सुबोध सागर सूरीश्वरजी म., आ. मनोहरकीर्तिसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में श्री पुंडरीक स्वामी, श्री गौतम स्वामी एवं श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिष्ठा हुई थी। पेथापुर निवासी मंजुलाबेन रसिकलाल सनालाल मेहता श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला वि. सं. २०३७ में निर्मित हैं । सहायक श्री रसिकलाल चीमनलाल शाह जैन उपाश्रय वीर सं.२५०७ वि. सं.२०३७ में निर्मित हैं । दूसरे उपाश्रय का नाम रवीमत निवासी सेठ श्री धरमचन्द मोतीचन्द जोगाणी जैन उपाश्रय वीर संवत २५०७ वि. संवत २०३७ में निर्मित हैं। श्री शान्तिनाथ भगवान शिखर बंदी जिनालय चेतना एपार्टमेन्ट के बाजू में, १८५ जवाहर नगर, गोरेगाँव (प.) मुंबई - ४०० ०६२. टे. फोन : ओ. - ८७२ १२ ८९ विशेष :- इस मन्दिरजी के संचालन का काम श्री जवाहर नगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की तरफसे हो रहा हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आचार्यदेव विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४९ वैशाख सुद ७ को आद्य स्थापना हुई थी। नूतन जिनालय होने के बाद पुन: प्रतिष्ठा वि. संवत २०५३ का मगसर सुद ३ शुक्रवार तारीख १३-१२-९६ को परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य भगवन्त सुबोध सागरसूरीश्वरजी आ. मनोहर कीर्तिसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शांतिनाथ, आजुबाजु में श्री आशापूरण पार्श्वनाथ, श्री महावीर स्वामी तथा रंग मंडप में सच्चा सुमतिनाथ व संभवनाथ प्रभु की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एवं अष्टमंगल मिलाकर ११ के लगभग हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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