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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर यह महाप्रासाद पूर्ण होने पर उसकी अंजन शलाका और प्रतिष्ठा, अपने परम श्रद्धेय पू. युग दिवाकर गुरुदेव की पुण्य निश्रा में कराने के लिये, मन्दिर के निर्माता डॉ. श्री चोथमलजी साहब आदि कार्यकर्तागण वढवाण शहर में बिराजमान युग दिवाकर गुरुदेव श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के पास मुंबई - जोगेश्वरी प्रतिष्ठा हेतु पधारने के लिये विनंती करने गये और खूब भाव से विनंती की, लेकिन पू. गुरुदेव श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की तबियत अस्वस्थ होने के कारण युग दिवाकर गुरुदेव स्वयं न पधार सके, किन्तु उनके आशीर्वाद और आज्ञापत्र लेकर डॉ. श्री चौथमलजी आदि बम्बई वापस आये और पू. युग दिवाकर गुरुदेव के आदेशानुसार परम पूज्य शासन सम्राट् आ. श्रीमद् विजय नेमिसूरीश्वरजी म. के. पट्टधर परम पूज्य वात्सल्य वारिधि आचार्य विजय विज्ञान सूरीश्वरजी म. के. पट्टधर आ. विजय कस्तूर सूरीश्वरजी म. के. पट्टधर आ. विजय चंद्रोदय सूरीश्वरजी म. एवं आ विजय अशोकचंद्र सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में श्री महावीर स्वामी वगेरे प्रतिमाजी की अंजनशलाका वि. सं. २०३५ का जेठ सुद २ ता. २७-५-७९ रविवार को तथा प्रतिष्ठा २०३५ का जेठ सुद ५ ता. ३१-५-७९ गुरुवार को हुई थी। यहाँ पहले और दूसरे माले पर पाषाण के कुल ९ प्रतिमाजी, पंचधातु के १७ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी ४, अष्टमंगल - २ तथा गौतमस्वामी, मातंगयक्ष - सिद्धायिका देवी तथा महावीर जीवन के आरस पर बनाये गये अनेक चित्र तथा शत्रुजय तीर्थ व सम्मेत शिखर तीर्थ सुशोभित हैं । मन्दिर के नीचे भूमिगृह-होल में आफिस के पीछे के भाग में श्री मणिभद्रवीर , श्री भैरूजी तथा श्री घंटाकर्ण वीर गोखलो में बिराजमान हैं। यहाँ उपासरा, जैन पाठशाला तथा श्री महावीर मण्डल भक्ति भावना में सक्रिय हैं। डॉ. चौथमलजी की वरली में भी एक भव्य जिन महाप्रासाद बनाने की प्रबल भावना थी, किन्तु यह भावना पूरी होने के पहले ही वे भगवान के दरबार पहुंच गये, अत: उनकी इस भावना को पूरी करने के लिये माता कमलादेवी के आदेशानुसार आपके सुपुत्र श्री रमेशजी, श्री किशोरजी एवं श्री प्रवीणजी ने एक भव्य श्री सीमंधर स्वामी का महाजिन प्रासाद वरली में निर्माण कराया। जो अत्यन्त सुन्दर एवं विशाल मन मोहक जिनालय बनने से मुंबई के नाम को रोशन किया हैं। ऐसे सरलस्वभावी जिन प्रेमी निर्माताओ को लाख लाख धन्यवाद देते हुए अनुमोदना किये बिना नही रह सकते हैं। गोरेगाँव (पश्चिम) (१४४) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान शिखर बंदी जिनालय आरे रोड, गोरेगाँव (प.), मुंबई - ४०० ०६२. टे. फोन : ओ. ८७३ ४६ १०, बाबुभाई - ८७२ १८ ९८ पुरुषोत्तमभाई - ८७२ ३० २५ विशेष :- सारे गोरेगाँव में सर्व प्रथम इस जिनालय के निर्माण के लिये गाँव मुन्डारा For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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