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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (१११) श्री श्रेयांसनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय १०१/१०५ ज्योत बंगलो कम्पाउण्ड में, इर्ला ब्रीज, स्वामी विवेकानन्द रोड, ___ विलेपार्ले (प.), मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ६७१ ४३ ४७, ६७१ २३ १० चंद्रकांतभाई दोशी, विक्रमभाई दोशी विशेष :- सर्व प्रथम इस जिनालय को सेठ श्री चुनीलाल लक्ष्मीचन्द शाह जामनगरवालोने बनवाया था। उसके बाद इसका संचालन सेठ श्री अमृतलाल कालीदास दोशी करते रहे । वर्तमान में इसका संचालन सेठ श्री चन्द्रकान्त ए. दोशी तथा श्री विक्रमभाई वगैरह परिवारवाले कर रहे हैं। इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा वि.सं. १९९४ श्रावण सुद ५ को हुई थी। यह मंदिर प्राचीन है तथा कांच की कलाकृति की सुन्दरता में चार चाँद लगा देता हैं । मूलनायक श्रेयांसनाथ प्रभु की पंच धातु की प्रतिमाजी है तथा आरस की २ प्रतिमाजी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ७ एवं अष्टमंगल- १ शोभायमान हैं। इसके अलावा दिवार पर बनाये गये कांच के कलात्मक डिझाईनो में श्री सम्मेतशिखरजी, श्री पावापुरी, श्री शत्रुजयजी, श्री राणकपुरजी, श्री गिरनारजी, श्री अष्टापदजी, श्री सिद्धचक्रयंत्र भी सुशोभित हैं। (११२) . श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय इरला ब्रिज, १०६ स्वामी विवेकानन्द रोड, विलेपार्ले (प.), मुंबई-४०० ०५६. टे. फोन : ओ. ६७१ २६ ३१, अनीलभाई संघवी - ६२८ ९४ ०३ विशेष :- सर्व प्रथम वि. सं. १९९६ में यहाँ श्री करमचंद जैन पौषधशाला की स्थापना हुई थी। इस पुरानी पौषध शाला में सर्व प्रथम आचार्य भगवन्त विजयभुवनभानुसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा मे दस वर्ष पहले वि.सं. २०४२ के वर्ष में श्री सीमन्धर स्वामी नाम से गृह मन्दिरजी की स्थापना हुई थी। प्राचीन उपाश्रय के पीछे विशाल जगह पर सेठ मणिलाल करमचन्द संघवी जैन पौषध शाला एवं ४ मंजील का नूतन उपाश्रय बनने के बाद अहमदाबाद से श्री आदीश्वर भगवान की ४७", श्री अजितनाथ भगवान ४५", श्री शान्तिनाथ भगवान ४५", इत्यादि नयन रम्य प्रतिमाजी आरस की हाल उपाश्रय में ग्राउन्ड फ्लोर पर काम चलाऊ बिराजमान किये गये हैं। पुराने श्री सीमन्धरस्वामी के गृह मन्दिरजी की प्रतिमाजी भी यहाँ पर बिराजित की गयी है । परम पूज्य आचार्य भगवन्त जयशेखरसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन निश्रा में वि.सं. २०५३ का माह सुद १३ ता. २०-२-१९९७ को प्रतिमाजी का प्रवेश हुआ था। वर्तमान में यहाँ मूलनायक श्री आदिनाथ, श्री अजितनाथ, श्री शान्तिनाथ, श्री महावीर स्वामी, श्री अजितनाथ प्रभु की आरस की ५ प्रतिमाजी तथा पंच धातु की १, श्री सीमन्धर स्वामीजी की प्रतिमाजी हैं। यहा के उपासरे एवं भव्य जिनालय की सारी जमीन को सेठ मणिलाल करमचन्द संघवीने श्री श्रेयस्कर अंधेरी गुजराती जैन संघ को अर्पण की हैं तथा उनके वारसदार सेठ श्री अनिल मणिलाल For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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