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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७० मुंबई के जैन मन्दिर संघवी परिवारवालो की देखरेख में निर्माण कार्य चल रहा हैं । नूतन उपाश्रय ११००० फुट तथा नूतन जिनालय ७००० फुट के क्षेत्रफल में बाँध काम चालु हैं। नूतन श्री आदीश्वर भगवान के शिखरबद्ध जिनालय का भूमिपूजन ता. १-११-९६ को श्री अरविन्दभाई मणिलाल शाह परिवारने किया हैं। परम पूज्य पन्यासजी श्री विमलसेन विजयजी म. साहेब की निश्रा में हुआ था। शिलान्यास :- वि.सं. २०५३ का काती वद - २ बुधवार ता. २७-११-९६ को सेठ श्री मणिलाल करमचन्द संघवी परिवारवालोने किया हैं । नूतन जिनालय - श्री आदीश्वर भगवान के जिनालय का निर्माण कार्य जोर शोर से चल रहा हैं। २ वर्ष के अल्प समय में मन्दिर निर्माण पूर्ण करके उसमे मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान एवं भोयरे में श्री पार्श्वनाथ भगवान वगैरह जिन बिम्बो की प्रतिष्ठा होनेवाली हैं। यहाँ श्री आदिनाथ सामायिक मण्डल, श्री आदिनाथ स्नात्र मंडल, श्री आदिनाथ महिला मण्डल, श्री चन्द्रविजय बैण्ड मण्डल तथा श्री वर्धमान संस्कृति धाम आदि संस्थाए सेवा-भक्ति के कार्य में अग्रसर हैं। (११३) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर दीपक बिल्डींग कम्पाउण्ड में चौथा रास्ता, जुहु, विलेपार्ले (प.), मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ६१२ ९६ ५५ - दीपकभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक श्रेष्ठीवर्य श्री कच्छ गोधरा निवासी संघवी रत्न श्री खीमजी वेलजी छेडा थे। वर्तमान संचालन समाज रत्न श्री रवजीभाई खीमजी छेडा की तरफसे हो रहा हैं । यह गृह मन्दिर परम पूज्य आ. भ. श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. के पट्टधर प.पू. युगदिवाकर आ.भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की पावन प्रेरणा से बनाया गया हैं । इसकी चलप्रतिष्ठा ता. ३१-८-६८ को हुई थी। यहाँ आरस के २ प्रतिमाजी, पंच धातु के ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ तथा मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी पंच धातु के ही हैं। इसके अलावा कांच की कारीगरी से बनाये गये श्री सम्मेतशिखरजी, श्री गिरनारजी, श्री पावापुरी, श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री अष्टापदजी के पट्ट शोभायमान हो रहे हैं। ___यहाँ श्री मुनिसुव्रत आराधक मण्डल, श्री सामायिक मण्डल, श्री आराधक खण्ड की भी व्यवस्था हैं। (११४) श्री मल्लिनाथ भगवान गृह मन्दिर जुह चर्च रोड, राधाकुंझ के कम्पाउण्ड में, जुहू चौपाटी के आगे, विलेपार्ले (प.) मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ६२० ४२ २५, ६२४ ३१ ०५ लीलाधर देवजी विशेष :- यह मन्दिर परम पूज्य मोहन - प्रतापसूरीश्वर के पट्टधर प. पू. युगदिवाकर For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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