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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६८ मुंबई के जैन मन्दिर (१०९) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर सरोजनी रोड, १४ महेन्द्र मेन्शन, पहला माला, विलेपार्ले (प.), मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ६१४ ९६ ०६ विशेष :- यह गृह मन्दिर स्वर्गीय श्रीमती चम्पाबहन धर्मदास वोरा का कहलाता है। धर्मप्रेमी श्री चम्पावतीबहन से प्रत्यक्ष २० वर्ष पहले मुलाकात की थी। उस समय मुझे बिना किसी संशय को दिल मे रखते हुए अपने घर का दरवाजा खोला तथा भगवान का दर्शन कराया। मैं खुशी के मारे उस वक्त झुम उठा था । धन्य हो ऐसी प्रभु प्रेमी माताजी को । पुस्तक की दूसरी आवृत्ति लिखते वक्त मुलाकात करने गया तो वे देवलोक में थी । अत: मुलाकात न हो सकी । अत: वर्तमान संचालिका श्रीमती चन्द्रमणिबहन महेन्द्रकुमार वोरा से मुलाकात हुई। आप भी सरल स्वभावी एवं हसमुख है मुझे शीघ्र दर्शन कराया। इस गृह मन्दिरजी में पंचधातु की १ प्रतिमाजी एवं १ सिद्धचक्रजी शोभायमान हैं। (११०) श्री नेमिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय ३७९ प्रीति बिल्डींग के कम्पाउण्ड में, स्वामी विवेकानन्द रोड, विलेपार्ले (प.), मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ओ. २६५ ३४ ३९ घर - ६१४ ९८ २१ श्री शान्तिचन्द्रभाई विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ वि.सं. २०११ में फागुन सुद ४ को परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रेरणासे चल प्रतिष्ठा हुई थी। उस वक्त सेठ कस्तुरचन्द स्वरुपचन्द मुख्य संचालक थे । वर्तमान में नूतन शिखर बंदी जिनालय बनाया है जिसके निर्माता एवं संचालकजी सेठ शान्तिचन्द्र बालुभाई झव्हेरी रीलीजीयस ट्रस्ट हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजयनेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के विज्ञान-कस्तूरचन्द्रोदयसूरिजी अशोकचंद्रसूरिजी के शिष्य पन्यासजी श्री सोमचन्द्रविजयजी म., प्रवर्तक श्री कल्याणविजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४९, वीर संवत २५१९, नेमि सं. ४४ माह सुद - ६ ता. २९-१-९३ शुक्रवार को खुब ठाठ माठ से प्रतिष्ठा हुई थी। जिनालय में मूलनायक पंच धातु के तथा आरस के १० प्रतिमाजी, पंच धातु के ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री गौतमस्वामी, श्री पुंडरीक स्वामी, श्री मणिभद्रवीर, श्री पद्मावतीदेवी बिराजमान है। दिवार पर बनाये गये तीर्थो में श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री गिरनार तीर्थ, श्री सम्मेतशिखरजी तीर्थ, श्री अष्टापद तीर्थ तथा श्री आदिनाथ प्रभु की चौविशी और श्री पद्मनाभ प्रभु की चौविशी के चित्र दर्शनीय हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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