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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir शान्यां नमः ॥1॥हाँ तर्जनीभ्यां नमः // 2 // इत्यादिना करन्यास हृदयादिपडंगन्यामं च कृत्या प्राणायाम कुर्यात् // तथा चअकारादिवर्णानुच्चार्य वामनामापुटेन वायं पूरयेत् // पंचवर्गानुच्चार्य वायु कुंभयेत // यकारादिवर्णानच्चार्य दक्षिणनासापुटेन वायुं। रेचयेत / / एवं वारत्रयं कृत्वा मंत्रवणैरंगन्यामं कृत्वा ध्यायेत् // अथ ध्यानम् // ध्यायेद्रणे हनुमंतं कपिकोदिसमन्वितम् ॥धावंतं रावणं जतं दृष्ट्वा सत्वरमुत्थितम् // लक्ष्मणं च महावीरं पतितं रणभृतले // गुरुं च क्रोधमुत्पाद्य गृहीत्वा गुरुपर्वतम् // हाहाकारः सदश्च / कम्पयंतं जगत्रयम् // ब्रह्माण्डं स समावाप्य कृत्वा भीमं कलेवरम् // 3 // इति ध्यात्वा पट्महस्र जपेत् / मतमदिवमं प्राप्य तदा दिवाई रात्रि व्याप्य जोत् / ततो महाभयं दत्त्वा त्रिभागशेपासु निशासु नियतमागच्छति साधको यदि मायां तरति तदेप्सितं वरं प्रामोति // विद्यां चापि धनं वापि राज्यं वा शत्रुनिग्रहम् // तत्क्षणादेव चामोति सत्यं सत्यं मुनिश्चितम् // इति दशाक्षरवीरमंत्रसाधनम् // / / अथ अष्टादशाक्षरमन्त्रप्रयोगः।। मंत्रो यथा / / "ॐ नमो हनुमते आवेशय आवेशय म्बाहा" इत्यष्टाशाक्षरमंत्रः।। अम्य विधानम् / / रक्तचंदनकी हनुमान्जीकी प्रतिमा बनाकर प्राणप्रतिष्ठा कर और रक्तवस्त्र धारण करावै। पीछे आप रक्तवस्त्र धारण कर रक्तवर्णके आसनपर| पाभिमुख बैठकर रात्रिके समय हनुमानजीका पंचोपचार पूजन करै गुडके चूरमेका नैवेद्य लगाये, उस नैवेद्यको मृतिक सामने आठ पहर धरा रहने दे, जब वे दूसरे दिन नैवेद्य लगावै तब पहले दिनका नैवेद्य उठाकर किसी पात्र में इकट्ठा करता रहे / अनुदान समाप्त होने के पछि किसी दुर्बल ब्राह्मणको देदेवे या पृथ्वीमें गाड़ देवै। घृतका दीपक जलावै, रुद्राक्षकी मालासे 1100 मंत्र नित्य जपै, उसी स्थानमें रक्तवस पर सोजावे ऐसा करनेसे ११दिनके भीतर कदनुमानजी ब्रह्मचारी स्वरूप हो राषिके समय स्वप्न द्वारा दर्शन देकर साधकके प्रश्नका उत्तर अवश्य देते हैं। साधक जा पूँछता है बताते हैं औरभी जिस कामके वास्ते जपे उसका मनोरथ पूर्ण करते हैं। यह एक महात्माका उपदेश किया हुआ बड़ा चमत्कारी मंत्र है. मेरा अनुभव किया हुआ सिद्ध मंत्र है। इसको गुप्त रखना चाहिये // इत्यष्टादशाक्षरहनुमन्मंत्रमयोगः / / For Private And Personal use only
SR No.020472
Book TitleMantra Maharnav
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages682
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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