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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir मं•म• 0 खं० . // अथ चतुर्दशाभरहनुमन्मंत्रप्रयोगः // मंत्रो यथा “ॐ नमो हरिमर्कटमर्कटाय स्वाहा” इति चतुर्दशाक्षरो मंत्रः / / अस्य विधानम् // अथ हनुमत्पूजापद्धतिप्रारंभः / तत्रादौ मंत्रानुष्ठानप्रारम्भात्पूर्वकत्यम // चन्द्रतारादिबलान्विते सुमहूर्ते पुण्यतीर्थक्षेत्रे विष्णुगहे पर्वते व वने वा निर्जनस्थानादावनुष्ठानयोग्यभृमिपार्रग्रहणं कृत्वा तत्र मार्जनदहनखननमप्लावनादिभिः स्मृत्युक्तः शोधनोपायैः शुद्धिं संपाय जपस्थानस्य चतुर्दिक्षु कोशं क्रोशद्वयं वा क्षेत्रमाहारादिविहारार्थ परिकल्प्य जपस्थानभूमौ कर्मशोधनं कुर्यात् // ततः पुरश्चरणात प्राक् तृतीयदिवमे क्षौरादिकं विधाय ततः प्रायश्चितांगतार्थ विष्णुपुजातर्पणश्राद्धानि होमं चान्द्रायणादिव्रतं च कुर्यात // व्रताशक्तौ गोदानं द्रव्यदानं च कुर्यात् / / यदि मर्वकर्माशक्तिम्तदा प्रयाश्चितांगनार्थ पंचगव्यप्राशनं कुर्यात् / / नत्र मंत्रः / / "ॐ यत्त्वंगम्थिगतं पापं देहे तिष्ठति मामके।। प्राशनापंचगव्यभ्य दहत्यनिरिबंधनम् 1" / मूलं पठित्वा प्रणवेन पंचगव्यं पिबेत / / तदिन उपवामं कुर्यात / अशक्त श्वेत पयःपानं हविष्यान्नैकभक्तवतं वा कर्यात / / ततः पुरश्चरणात पूर्वदिने स्वदेहशुद्धयर्थ पुरश्चरणाधिकारप्राप्त्यर्थ चायुतगायत्री) जपं कुर्यान // तथा च देशकालौ मंकीर्त्य ममामुकगोत्रम्यामुकशर्माणो ज्ञाताज्ञातपापक्षयार्थं करिष्यमाणश्रीहनुमन्मंत्रपुरश्चरणाधिकारार्थ / * इस मंत्र को आम्रक पनेपर गुलाल बिछाकर अनारकी कलमसे एक लाख मंत्र लिखे, तो मनोरथ सिद्ध हो राज्यका प्रयोजन सिद्ध हो अनेक कार्य मना वांछित सिद्ध हो, इसमें कुळ संदेह नहीं, अगर “ॐ नमो हरिमर्कटमकंटाय अमुकं हारमर्कटमकंटाय स्वाहा” इस प्रकार भोजपच या कागजपर सिंदृग्स लिखकर वीरमूति हनुमान के मस्तकपर चिपकाय देखें. पंचोपचार पूजन करके सरसाक तेल की इनमानजीके मस्तकपर इस मंत्रके द्वारा एक लाख धारा देव तो शत्रुका नाश होवे, शत्रुका धन नष्ट होवे, अत्यंत दुःखी होकर पैरो आन पड़े। यह विधि भी एक जटिल सिद्ध पुरुषकी कहाँ हुई हमारी अनुभूत विद्या है। इति चतुर्दशाक्षरहनु मंत्रप्रयोगः // इति हनुमपठलं समागम // 29 // For Private And Personal Use Only
SR No.020472
Book TitleMantra Maharnav
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages682
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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