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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमारसंभव 519 चकार कण च्युत पल्लवेन मूर्धा प्रणामं वृषभध्वजाय। 3/62 पार्वती ने भी शिवजी को प्रणाम करने के लिए ज्यों ही अपना सिर झुकाया, त्यों ही उनके काले-काले बालों में गुंथे हुए। 44. वृषराजकेतु :-महादेव, शिव। स्वरूपमास्थाय च तां सरसांगयष्टिर्निक्षेपणाय वृषराजकेतनः। 5/84 त्यों ही महादेवजी ने अपना सच्चा रूप धारण करते हुए, मुस्कुराते हुए उनका हाथ थाम लिया। 45. वृषांक :-महादेव, शिव। आशंसता बाणगतिं वृषांके कार्यं त्वया नः प्रतिपन्नकल्पम्। 3/14 अभी-अभी तुमने कहा कि हम अपने बाणों से शंकर जी को भी वश में कर सकते हैं, इसलिए एक प्रकार से तुमने हमारा काम करने का बीड़ा उठा लिया 46. शशिमौलि :-[शशी मौलिः शिरो भूषणं यस्य] शिवः] महादेव। न च प्ररोहाभिमुखोऽपि दृश्यते मनोरथोऽस्याः शशिमौलि संश्रयः। 5/60 महादेवजी को पाने की जो इनकी साध थी, उसमें अभी अंकुवे भी नहीं फूटे। 47. शर्व :-पुं० [शृणति सर्वाः प्रजाः संहरति प्रलये, संहारयति वा भक्तानां पापानि] महादेव, शिव। धर्मेणापि मदं शर्वे कारिते पार्वतीं प्रति । 6/14 शंकर जी के मन में पार्वती जी से विवाह करने की इच्छा देखकर। 48. शितिकण्ठ :-महादेव, शिव। प्रणम्य शितिकण्ठाय विबुधास्तदनन्तरम्। 6/81 देवता लोग महादेव जी को प्रणाम करके। 49. शिव :-पुं० [शी+ सर्वनिघृष्वेति' वन् प्रत्ययेन निपातनात् साधुः] महादेव, शंकर। स भीम रूपः शिव इत्युदीर्यते । 5/77 शंकर जी डरावने दिखाई देने पर भी सबका भला करने वाले कहे जाते हैं। प्रसन्नचेतः सलिलः शिवोऽभूत्संसृज्य मानः शरदेव लोकः। 7/74 जैसे शरद् के आने पर लोग प्रसन्न हो जाते हैं, वैसे ही शंकर जी के नेत्र रूपी कुमुद खिल गए और उनका मन जल के समान निर्मल हो गया। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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