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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 850 कालिदास पर्याय कोश कनककमलकान्तैराननैः पाण्डुगण्डैरुपनिहितहारैश्चन्दनार्दैः स्तनान्तैः। 6/32 अपने स्वर्ण कमल के समान सुनहरे गालों वाले मुंह से, गीले चंदन पुते और मोतियों के हार पड़े हुए स्तन से। कुवलय - [कोः पृथिव्याः वलयमिव - उप० स०] नीला कुमुद, कमल, कुमुद। कुवलयदलनीलैरुन्नतैस्तोयनप्रैर्मृदुपवनविधूतैर्मन्दमन्दं चलद्भिः । 2/23 कमल के पत्तों के समान साँवले, पानी के भार से झुक जाने के कारण बहुत थोड़ी ऊँचाई पर ही छाए हुए और धीमे-धीमे पवन के सहारे धीरे-धीरे चलने वाले जिन बादलों में। 10. पंकज - [पंक् + जः] कमल। उत्फुल्लपङ्कजवनां नलिनीं विधुन्वायुनां मनश्चलयति प्रसभंनभस्वान्।3/10 कमलों से भरे तालों की कमलिनियों को हिलाता हुआ शीतल वायु, युवकों का मन झकझोरे डाल रहा है। दिवसकरमयूखैर्बोध्यमानं प्रभाते वरयुवतिमुखाभं पङ्कजंजृम्भतेऽद्य।3/25 प्रातः काल जब सूर्य अपने करों से कमल को जगाता है, तब वह कमल सुंदरी युवती के मुख के समान खिल उठता है। गृहीतताम्बूलविलेपनस्रजः पुष्पासवामोदितवक्त्र पङ्कजाः। 5/5 फूलों के आसव पीने से जिनका कमल जैसा मुँह सुगंधित हो गया है, वे पान खाकर, फुलेल लगाकर, और मालाएँ पहनकर। 11. पद्म - [पद् + मन्] कमल। काशांशुका विकचपद्ममनोज्ञवक्त्रा सोन्मादहंसरव नूपुरनाद रम्या। 3/1 फूले हुए काँस के कपड़े पहने, मस्त हंसों की बोली के सुहावने बिछुए पहने खिले हुए कमल के समान सुंदर मुख वाली। कलारपद्मकुमुदानि मुहुर्विधुन्व॑स्तत्संगमादधिक शीतलतामुपेतः। 3/15 कमल तथा कुमुद से छू-छूकर ठंडक लेता हुआ जो पवन धीमे-धीमे बह रहा विलीनपाः प्रपत तुषारो हेमन्तकालः समुपागतोऽयम्। 4/1 For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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