SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org 9. भूधरेश्वर: पर्वतराज । कुमारसंभव 8. भूधर - पर्वत ऋषयोनोदयामासुः प्रत्युवाच स भूधरम् ।। 7/69 तब अंगिरा ऋषि ने हिमालय से कहा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इत्युवाचेश्वरान वाचं प्राञ्जलिर्भूधरेश्वरः ।। 7/53 फिर हाथ जोड़कर हिमालय ने उनसे कहा। 10. भूधराणाधिपेन :- हिमालय पर्वत, पर्वतराज । सा भूधराणामधिपेन तस्यां समाधिमत्या मुदपादिभव्या । 1/2 वैसे ही हिमालय ने पतिव्रता मैना से उस कल्याणी को जन्म दिया। 11. भूभृतांनाथ :- हिमालय पर्वत, पर्वतराज । 503 दाता मे भूभृतां नाथः प्रमाणी क्रियता मिति । 7/1 मेरा विवाह करने वाले या न करने वाले मेरे पिता हिमालय हैं, इसलिए यदि आप मुझसे विवाह करना चाहते हैं, तो पहले उन्हें जाकर मना लीजिए । 12. भूमिधर : - पर्वत, हिमालय पर्वत । ह्रीमान भूदं भूमिधरो हरेण त्रैलोक्यवन्द्येन कृत प्रणामः । 7/54 शंकर जी ने जब पहले हिमालय को प्रणाम किया, तो वह लाज से गड़ गया । 13. महीधर : - हिमालय पर्वत, पर्वतराज, बड़ा पर्वत । यथा त्वदीयैश्चरितैरनाविलैर्महीधरः पावित एष सान्वयः । 5/37 इन सबसे हिमालय उतना पवित्र नहीं हुआ, जितना आपके रहन-सहन से हुआ वर्गाषुभौ देवमहीधराणां द्वारे पुरस्योद्धरितापिधाने । 7/53 इन दोनों दलों का हल्ला दूर तक सुनाई पड़ रहा था, और वे जब हिमालय की राजधानी के खुले फाटकों वाले द्वार पर आकर मिले है। एतावदुक्त्वा तनयामृषीनाह महीधरः ।। 7/89 अपनी पुत्री से इतना कहकर हिमालय ऋषियों से बोले । 14. महीभृत :- पुं [ महीं बिभर्ति धरतीति । मही+भ+ क्विप्; ह्रस्वस्य पिति कृति तुक्' इति तुगागमश्च] पर्वत हिमालय पर्वत, पर्वतराज । For Private And Personal Use Only महीभृतः पुत्रवतोऽपि दृष्टि स्तस्मिन्नपत्येन जगाम तृप्तिम। 1 / 27 अनेक संतानों के होते हुए भी हिमवान की आँखें पार्वती पर ही अटकी रहती थीं ।
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy