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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 502 कालिदास पर्याय कोश दुहितरमनुकम्प्यामदिरादाय दोभ्या॑म्। 3/76 अपनी दुःखी कन्या को हिमालय ने गोद में उठा लिया। इच्छाविभूत्योरनुरूपमद्रिस्तस्याः कृती कृत्यमशेषयिता। 7/29 हिमालय ने भी बड़े उत्साह से जी खोलकर पार्वती के विवाह के सब प्रारम्भिक काम निपटा दिए। 2. अद्रिनाथ :- पर्वत, हिमालय पर्वत। अनर्घ्यमर्येण तमद्रिनाथः स्वर्गीकसामर्चितमर्चयित्वा। 1/58 जिन महादेव जी को स्वर्ग के देवता पूजते हैं, उनकी पूजा के लिए हिमालय अपनी पुत्री के साथ बहुमूल्य पूजा की सामग्री लेकर पहुंचे। 3. क्षितिधर :-पुं० [धरतीति धरः, धृ+अच्, क्षितेः धरः, षष्ठी समासः] पर्वत। मूर्धन मालि क्षितिधारणोच्चमुच्चस्तरं वक्ष्याति शैलराजः। 7/68 पृथ्वी धारण करने से उनका सिर वैसे ही ऊँचा था, उस पर अपने मन चाहे वर भगवान् शंकर जी से सम्बन्ध करके उनका सिर और भी ऊँचा हो जाएगा। 4. गिरि :-पुं० [गिरति धारयति पृथ्वी, ग्रियते स्तूयते गुरुत्वाद्वा] पर्वत, गिरि। तानानय॑मादाय दूरात्प्रत्युद्ययौ गिरिः। 6/50 उन्हें देखकर हाथ में अर्ध्य-पात्र लेकर दूर से उनकी पूजा के लिए हिमालय चला। 5. गिरिराज :- हिमालय पर्वत, पर्वतराज। यस्यार्थ युक्तं गिरिराज शब्दं कुर्वन्ति बालव्यजनैश्चमर्यः। 1/13 वे इस पर्वतराज पर पूँछ के चँवर डुलाकर, इसका गिरिराज नाम सच्चा कर रही हों। 6. नगाधिराज :- हिमालय पर्वत, पर्वतराज। अस्त्युत्तरस्याँ दिशि देवतात्मा हिमालयो नाम नगाधिराजः। 1/1 भारत के उत्तर में देवता के समान पूजनीय हिमालय नाम का बड़ा सा पहाड़ है। 7. नगेन्द्र :- हिमालय पर्वत, पर्वतराज। स प्रापद प्राप्त पराभियोगं नगेन्द्र गुप्तं नगरं मुहर्तात।। 7/50 किसी से भी कभी न हारने वाला वह बैल, हिमालय के औषधि प्रस्थ नगर में क्षण भर में पहुँच गया। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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