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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 778 कालिदास पर्याय कोश आम्री मञ्जुल मञ्जरी वरशरः सत्किंशुकं यद्धनु य॑यस्यालिकुलं कलङ्करहितं छत्रं सितांशुः सितम्। 6/38 जिसके आम के बौर ही बाण हैं, टेशू ही धनुष हैं, भौंरों की पाँत (झुंड) ही डोरी हैं, उजला चंद्रमा ही छत्र है। यूथ - [यु + थक्, पृषो० दीर्घः] भीड़, येली, झुंड। भ्रमति गवययूथः सर्वतस्तोयमिच्छंशरभकुलमजिह्यं प्रोद्धरत्यम्बु कूपात्। 1/23 पशुओं के झुंड चारों ओर पानी की खोज में घूम रहे हैं, और आठ पैरों वाले शरभों का झुंड एक कुएँ से गटागट पानी पी रहा है। कपोलदेशा विमलोत्पलप्रभाः सभृङ्गयूथैर्मदवारिभिश्चिताः। 2/15 जब उनके माथे से बहते हुए मद पर भौरों के झुंड आकर लिपट जाते हैं, उस समय उनके माथे स्वच्छ नीले कमल जैसे दिखाई देने लगते हैं। प्रभूतशालिप्रसवैश्चितानि मृगाङ्गनायूथ विभूषितानि। 4/8 जिन खेतों में भरपूर धान लहलहा रही है, हरिणियों के झुंड चौकड़ियाँ भर रहे मत्तालियूथविरुतं निशि सीधुपानं सर्वं रसायनमिदं कुसुमायुधस्य। 6/35 मतवाले भौंरों के झुंड की गुंजार और रात में आसव पीना ये सब कामदेव को जगाए रखने वाले रसायन ही हैं। विविधमधुप यूथैर्वेष्ट्यमानः समन्ताद्भवतु तव वसन्तः श्रेष्ठकालः सुखाय। 6/37 चारों ओर भौंरो के झुंड से घिरा हुआ वसंत आपको सुखी और प्रसन्न रखे। 3. वर्ग - [ वृज् + घञ्] श्रेणी, प्रभाग, समूह, दल, समाज, जाति, संग्रह। प्रसरति तृणमध्ये लब्धवृद्धिः क्षणेन ग्लपयति मृगवर्गं प्रान्तलग्नो दवाग्निः। 1/25 जंगल से उठती हुई आग सभी पशुओं के समूहों को जलाए डाल रही है और क्षण भर में बढ़कर घास पकड़ लेती है। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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