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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org — ऋतुसंहार लुभावनी साँझें, छिटकी हुई चाँदनी, कोयल की कूक, सुगंधित पवन । कुल 1. कुल [ कुल + क] वंश, परिवार, दल, झुंड, समूह, संग्रह | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तृषाकुलं निःसृतमद्रिगह्वरादवेक्षमाणं महिषीकुलं जलम् । 1 / 21 प्यास के मारे भैंसों का समूह पहाड़ की गुफा से निकल निकल कर जल की ओर चला जा रहा है। 777 - श्वसिति विहगवर्गः शीर्णपर्णदुमस्थः कपिकुलमुपयाति क्लान्तमद्रेर्निकुञ्जम्। 1/23 जिन वृक्षों के पत्ते झड़ गए हैं, उन पर बैठी हुई चिड़ियाँ हाँफ रही हैं। उदास बंदरों के झुंड पहाड़ की गुफाओं में घुसे जा रहे हैं। तृषाकुलैश्चातकपक्षिणां कुलैः प्रयाचितास्तीयभरावलम्बिनः । 2/3 प्यास से व्याकुल चातक पक्षियों के झुंड जिन बादलों से पानी माँग रहे हैं, वे पानी के भार से झुके हुए हैं। For Private And Personal Use Only ससंभ्रमालिङ्गनचुम्बनाकुलं प्रवृत्तनृत्यं कुलमद्य बर्हिणाम्। 2/6 ये मोरों के झुंड अपनी प्यारी मोरनियों को गले लगाते हुए और चूमते हुए आज नाच रहे हैं। ससाध्वसैर्भेककुलैर्निरीक्षितं प्रयाति निम्नाभिमुखं नवोदकम् । 2/13 से बहकर आते हुए मटमैले बरसाती पानी को देखकर मेंढकों के समूह डरे जा रहे हैं । शेफालिका कुसुमगन्धमनोहराणि स्वस्थस्थिताण्डजकुल प्रतिनादितानि । 3 / 14 जिनमें शेफालिका के फूलों की मनभावनी सुगंध फैली हुई है, उनमें निश्चिंत बैठी हुई चिड़ियों के झुंड की चहचहाहट चारों ओर गूँज रही है। हंसैः ससारस कुलैः प्रतिनादितानि सीमान्तराणि जनयन्ति नृणां प्रमोदम् । 3 / 16 जहाँ बहुत से सारसों और हंसों के जोड़े झुंडों में अपनी मीठी बोली बोल रहे हैं, ऐसे स्थान लोगों को बड़े अच्छे लगते हैं।
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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