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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 603 कुमारसंभव तपात्ययेवारिभिरुक्षिता नवैर्भुवा सहोष्माणम मुंच दूर्ध्वगम्। 5/23 वर्षा होने पर उधर तो गर्मी से तपी हुई पृथ्वी से भाप निकल उठी! आसक्तबाहुलतया सार्ध मुद्धृतया भुवा। 6/8 उबारी हुई पृथ्वी के साथ-साथ उनके जबड़ों मे विश्राम किया करते हैं। उन्नतेन स्थितिमिता धुरमुद्वहता भुवः। 6/30 फिर ऐसी ऊँची प्रतिष्ठा वाले और पृथ्वी को धारण करने वाले। 5. भूमि :-[भवन्त्यस्मिन् भूतानि-भू+मि किच्च वा ङीप्] पृथ्वी, मिट्टी,भूमि। विदूर भूमिर्नवमेघशब्दादुद्भिन्नया रत्न शलाक येव। 1/24 जैसे नये मेघ के गरजने पर विदूर पर्वत के रत्नों में अंकुर फूट आते हैं और उनके प्रकाश से विदूर पर्वत की भूमि चमक उठती है। स वासवेना सनसनिकृष्टमितो निषीदेति विसृष्ट भूमिः। 3/2 इन्द्र ने कामदेव से कहा-आओ यहाँ बैठो। यह कहकर उसे अपने पास ही बैठा लिया, उसने भी सिर झुकाकर। योषित्सु तद्वीर्य निषेक भूमिः सैव क्षमेत्यात्म भुवोपदिष्टम्। 3/16 ब्रह्माजी ने स्वयं यह बात बताई है कि स्त्रियों में वे ही एक ऐसी हैं, जो शिवजी का वीर्य धारण कर सकती हैं। भविष्यतः पत्युरुमाच शंभोः समाससाद प्रतिहारभूमिम्। 3/58 इसी बीच पार्वती भी अपने भावी पति शंकर जी के आश्रम के द्वार पर आ पहुँची। भूमेर्दिवमिवारूढं मन्ये भवदनुग्रहात्। 6/55 पृथ्वी पर रहते हुए भी स्वर्ग पर चढ़ गया हूँ। स्वबाणचिह्नादवतीर्य मार्गदासन्नभूपृष्ठामियाय देवः। 7/51 उस आकाश से पृथ्वी पर उतरे, जिसमें उन्होंने अपने बहुत से बाण चलाकर चिह्न बना दिए थे। 6. वसुधा :-[वसस्+उन्+धा] पृथ्वी, भूमि। अथ सा पुनरेव विह्वला वसुधालिंगन धूसरस्तनी। 4/4 रति बेहाल हो उठी और मिट्टी में लोट-लोटकर रोने लगी। निर्वृत्त पर्जन्य जलाभिषेका प्रफुल्लाकाशा वसुधेवे रेजे। 7/11 मानो गरजते हुए बादलों के जल से धुली हुई और कांस के फूलों से भरी हुई धरती शोभा दे रही हो। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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