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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org -: रघुवंश 2. वरतन्तु शिष्य कौत्स ऋषि । उपात्तविद्यो गुरुदक्षिणार्थी कौत्सः प्रपेदे वरतन्तु शिष्यः । 5 / 1 उसी समय वरतन्तु के शिष्य कौत्स ऋषि गुरुदक्षिणा के लिए धन माँगने को उनके पास आ पहुँचे। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 71 स्वार्थोपपत्तिं प्रति दुर्बलाशस्तमित्यवोचद्वरतन्तु शिष्यः । 5 / 12 उन्होंने समझ लिया कि यहाँ हमारा काम नहीं बनेगा, यह सोचकर वरतन्तु के शिष्य कौत्स बोले । कौमुदी 1. इन्दुप्रकाश :- [ उनत्ति क्लेदयति चन्द्रिकया भुवनम् - उन्द् + उ आदेरिच्च + प्रकाश] चाँदनी । संदष्ट वस्त्रेष्वबलानितम्बेष्विन्दुप्रकाशान्तरितोडुतुल्याः । 16 / 65 इन रानियों ने अपने नितम्बों पर श्वेत वस्त्र लपेट लिया है, जिसके नीचे तगड़ी के घुंघरू चाँदनी से ढके हुए तारों के समान दिखते हैं। 2. कौमुदी : - [ कौमुद+ ङीप् ] चाँदनी । शशिनमुपगतेयं कौमुदी मेघमुक्तं जलनिधि मनुरूपं जन्हु कन्यावतीर्णा । 6/85 यह तो चाँदनी और चंद्रमा का मेल हुआ और गंगाजी समुद्र में मिल गई हैं। निमिमील नरोत्तम प्रिया हृतचंद्रा तमसेव कौमुदी । 8/37 उसने व्याकुल होकर आँखें मूद लीं, मानों चंद्रमा को राहु ने ग्रस लिया हो । 3. चंद्रिका :- [ चन्द्र+उन्+टापू] चाँदनी, ज्योत्स्ना । अन्वभुक्तं सुरतश्रमापहाँ मेघमुक्त विशदां स चंद्रिकाम् | 19/39 उस चाँदनी का आनंद लेता था, जो संभोग का श्रम दूर करती है और जो बादलों के न रहने से बराबर फैली रहती है। For Private And Personal Use Only 4. चान्द्रमसी प्रभा : - [ चन्द्रमस्+अण्+प्रभा ] चाँदनी । क्वचित्प्रभा चान्द्रमसी तमोभिश्छाया विलीनैः शबलीकृतेव । 13/56 कहीं-कहीं ये वृक्ष के नीचे की उस चाँदनी के समान लगती हैं, जिसके बीच-बीच में पत्तों की छाया पड़ी हो।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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