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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 416 कालिदास पर्याय कोश सुंदर बोलने वाले सदाचारी राम ने अपने भद्र नाम के दूत से पूछ :-कहो भद्र! हमारे विषय में प्रजा क्या कहती है। 3. शुद्ध:-[शुध् + क्त] विशुद्ध, विमल, पुनीत,शुचि, निर्दोष, उज्ज्वल, निष्कलंक। तदन्वये शुद्धि मति प्रसूतः शुद्धिमत्तरः। 1/12 उन्हीं मनु के उज्ज्वल वंश में अत्यन्त शुद्ध चरित्र वाले राजा दिलीप ने जन्म लिया। तीर्थाभिषेकजां शुद्धिमादधाना महीक्षितः। 1/85 राजा दिलीप वैसे ही पवित्र हो गए, जैसे किसी तीर्थ में स्नान करके लौटे हों। शरीरत्यागमात्रेण शुद्धिलाभममन्यत। 12/10 उन्होंने समझ लिया कि अब प्राण देकर ही मेरी शुद्धि होगी। रराज शुद्धेति पुनः स्वपुर्यै संदर्शित वह्निगतेव भा। 14/14 सीताजी की शुद्धता दिखाने के लिए राम ने उन्हें फिर अग्नि में बैठा दिया हो। अन्वमीयत शुद्धेति शान्तेन वपुषैव सा। 15/77 सीताजी अपने शांत शरीर से ही पवित्र दिखाई देती थीं। शृग 1. विषाण :-[विष् + कानच्] सींग। प्रायो विषाणपिरमोक्षलघूत्तमाङ्गान्खगाँश्चकार नृपतिर्निशितैः क्षुरप्रैः। 9/62 इतने में ही उन्हें बारहसिंहों का झुंड दिखाई दिया, राजा दशरथ ने अर्द्धचंद्र बाणों से उनके सींग काटकर, उनके सिर का बोझ हलका कर दिया। 2. शृंग :-[शृ + गन्, पृषो० मुम् हस्वश्च] पहाड़ की चोटी, सींग। अजिनदण्डभृतं कुशमेखलां यतगिरं मृगशृङ्गपरिग्रहाम्। 9/21 जब वे मृगछाला पहनकर, हाथ में दंडलेकर, कुशा की तगड़ी बाँधकर, चुपचाप हरिण की सींग लिए, यज्ञ की दीक्षा लेकर बैठे। शृङ्ग सदृप्तविनयाधिकृतः परेषामत्युच्छ्रितं न ममृषे न तु दीर्घमायुः। 9/62 वे सिर उठाकर चलने वालों का दमन अवश्य करते थे, इसीलिए उन्होंने ऐंठकर चलने के साधन सींगों को काट डाला, यद्यपि राजा को उनके प्राणों से कोई बैर नहीं था। वन्यैरिदानी महिषैस्तदम्भः शृङ्गाहतं क्रोशति दीर्घिकाणाम्। 16/13 वह आजकल जंगली भैंसों के सींगों की चोटों से कान फोड डालता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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