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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org रघुवंश विधाय सृष्टिं ललितां विधातुर्जगाद भूयः सुदतीं सुनन्दा | 6/37 कमल के समान सुन्दरी, बड़ी गुणवती, विधाता की सुन्दर रचना और सुन्दर दाँतों वाली सुनन्दा को । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नितम्बगुर्वी गुरुणा प्रयुक्ता वधूर्विधातृ प्रतिमेन तेन । 7/25 तब बड़े-बड़े नितम्बों वाली, लजीली इन्दुमती ने ब्रह्मा के समान पूज्य पुरोहित के कहने पर । 6. वेधस : - (पुं० ) [विधा + असुन्, गुण: ] स्रष्टा, ब्रह्मा, तं वेधा विदधे नूनं महाभूतसमाधिना । 1/29 ब्रह्मा ने निश्चय ही महाराज दिलीप को पाँच तत्त्वों से ही बनाया था । 7. स्रष्टा :- [ सृज् + तृच् ] ब्रह्मा का विशेषण । विधाता । 397 अथवा मम भाग्य विप्लववादशनिः कल्पित एष वेधसा । 8/47 या यह मेरा दुर्भाग्य ही समझना चाहिए कि विधाता ने इस माला को ऐसी बिजली बनाकर गिराया है। स्त्रष्टुर्वराति सर्गात्तु मया तस्य दुरात्मनः । 10/42 ब्रह्माजी ने जो उसे वरदान दे दिया है, उसी से मैंने उस दुष्ट का दिन-दिन ऊपर चढ़ना उसी प्रकार सहा है। For Private And Personal Use Only विप्रयोग 1. विप्रयोग :- [ वि + प्र + युज् + घञ्] जुदाई, विच्छेद, अभाव, हानि, वियोग, अलगाव । नवं पयो यत्र घनैर्मया च त्वद्विप्रयोगाश्रु समं विसृष्टम् | 13 / 26 यहाँ जब बादलों ने नया जल बरसाना आरंभ किया, उस समय तुम्हारे न रहने से मेरी आँखें भी जल बरसाने लगीं थीं । भूयो यथा में जननान्तरेऽपित्वमेव भर्ता न च विप्रयोगः । 14/66 अगले जन्म में भी आप ही मेरे पति हों, आपसे मुझे अलग न होना पड़े। 2. वियोग : - [ वि + युज् + घञ्] जुदाई, विच्छेद, अभाव, हानि । राजाऽपि तद्वियोगार्तः स्मृत्वा शापं स्वकर्मजम् । 12 / 10 उनके वियोग में राजा दशरथ को बड़ा दुःख हुआ, उन्हें मुनि का शाप स्मरण हो आया ।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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